पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/२७४

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0. अथ अड्.कमयी तिमि भुव तुम अधिकार मोहिं बिस्वे २० जनात ।५ ६१ खल नहिं राज मैं २५ बन की बाय । राजराजेश्वरी स्तुति तासों गायो सुजस तुव कवि ६ पद हरखाय ।६ करि वि४ देख्यो बहुत जग विनु २स न१ । किये १००0000000०० बल १०००000000 तुम बिनु हे विक्टोरिये नित ९०० पथ टेक ।१ के तनिकहिं भौंह मरोर । ह ३ तुम पर सैन लै ८० कहत करि १०० ह । ४० की नहिं अरिन की सैन सैन लखि तोर ७ पै बिन७ प्रताप-बल सत्रु मरोरे भौंह ।२ तुव पद १०००००००००००००० प्रताप को सो १३ ते लोग सब बिल १७ त सचैन । करत सुकवि पि १०००००००। अ ११ ती जागती पै सब ६ न दिन-रैन । ३ करत १०००0000 बहु १००००० करि सखि तुव मुख २६ सि सबै कै १६ त अनंद । होत तऊ अति थोर ।८ निहचै २७ की तुम मैं परम अमंद ।४ तुम ३१ ब मैं बड़ी ताते बिरच्यो छन्द । जिमि ५२ के पद तरें १४ लोक लखात । तुव जस परिमल ।। । लहि अंक-चित्र हरिचंद ।९ भाषा सहज कविता आजु मान अति ही लड्यो आरज भारत देस । धन्य धन्य दिन आजु को धन धन भारत-भाग । भारत की राजेश्वरी भए अनंद बिसेस ।२ अतिहि बढ़ायो सहज निज दोऊ दिसि अनुराग १ | प्रथम शमीरामा २ भई दूजी भई न और । सरयू जमुना गंग मैं जब लौं थिर जग नीर ।। गले दाल नहिं सत्रु की तुव सनसुख गुनधाम । जे केवल तुय दास है नासहु तिनकी आर । अमीमई कीरति छई रहै अजी महराज । बढ़े सवाई तेज नित टीको अचल लिलार । बेर बेर बरनत सबै ये कवि यातें आज । भारत के एकत्र सब वीर सदा बल-पीन । थापे थिर करि राज-गन अपने अपने ठौर । बीसहु बिस्वा ते रहै तुमरे नितहि अधीन । तासों तुम सी नहि भई महरानी जग और । चेरे से हेरे सबै तेरे बिना कलाम । 'करि विचार देख्यौ बहुत जग बिनु दोसन एक । तुम बिन हे विक्टोरिये नित नव सौ पथ टेक । हती न तुम पर सैन लै असी कहत करि सौह । पै बिनसात प्रताप-बल सत्रु मरोरै भौंह । सोते रहते लोग सब बिलसत रहत सचैन । अग्या रहती जागती पै सब छन दिन रैन । लखि तुव मुख छबि ससि सबै कैसो रहत अनन्द। निहचै सत्ता ईस की तुम मैं परम अमंद । जिमि बावन के पद तर चौदह लोक लखात । तिमि भुव तुव अधिकार मोहि बिस्वे बीस जनात। इक सठ खल नहिं राज में पची सबन की बाय । तासों गायो सुजस तुव कवि षट्-पद हरखाय । किये खरब बल अरब के तनिकहिं भौंह मरोर । चालि सकी नहिं अरिन की सैन सैन लखि तोर । तुव पद पद्म प्रताप को करत सुकवि पिक रोर । करत कोटि बहु लक्ष करि होत तऊ अति थोर । तुम इक ती सब में बड़ी ताते बिरच्यौ छंद । तुव जस परिमल पौन लहि अंक-चित्र हरिचंद । २ पवा पुराण में भारत को जीतने वाली शमीरामा नामक देवी का विजयदशमी के दिन शमी वृक्ष में पूजन का विधान है, जिसको इतिहास में Queen Semiremis कहते हैं । भारतेन्दु समग्र २३२