पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सर अस्नाम बुतखानः शिकस्तः । जहूरे मस्जिदे दिलख्याह गश्तः । (१०७७) व इस्तसवाब नूरुल्लाह मुक्ती । गुलामे दरगहे पीराने चिश्ती ।। सनाए खानः जीनत अस्त पैदा । जे दौलतखाना तारीखश हुवेदा ।। (१०७७ हि.) अर्थ-मुसल्मानी धर्म के स्वामी (इत्यादि) औरंगजेब बादशाह की आज्ञा से देवमंदिर के देवताओं के सिर तोड़ कर यह मस्जिद बनाई गई (इत्यादि) १०७७ हिजरी । कालचक्र अर्थात् संसार में जो बड़ी बड़ी घटना हुई हैं उन का समय निर्णय (श्री हरीशचन्द्र लिखित) संसार में जो कुछ भी बड़ी घटनायें हुई हैं। सृष्टि के आरम्भ से लेकर भारतेन्दु तक, इस ग्रन्थ में उन सबका समय निर्धारण किया गया है। कालचक्र का रचनाकाल सन् १८८४ है। भारतेन्तु बाबू अपने जीवन काल में इसे पूरा नहीं कर पाये। बाद में श्री राधाकृष्ण दास ने इसे पूरा कर खंग विलास प्रेस से छपवाया। इसकी भूमिका भी राधाकृष्ण वास जी ने ही लिखी है। सं. भूमिका ॐ कालात्मने भगवते श्री कृष्णाय नमः हाय! इस 'कालचक्र को पूरा करके छपाने की भी नौबत न पहुँची कि पूज्यपाद भारतेन्दु जी आप ही कालचक्र के काल गाल में जा फैसे! अस्तु भगवविच्छा, अब कोई वश नहीं। यह उन का परिश्रम आप लोगों की सेवा में मेंट किया जाता है, यदि इस से आप लोगों को कुछ भी सहायता मिलेगी तो सब परिश्रम सुफल हो जायगा। सेवक बैशाच्च कृष्ण १ सं. १९४९ श्री राधाकृष्ण दास बनारस भारतेन्दु समग्न ७७०