पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९९०

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फल श्रुति यह पुराण लिखाकर फाल्गुनी पूर्णिमा को तिल धेनु सहित भक्ति पूर्वक ब्राह्मण को दान करने से जरा मरण वर्जित हो कर शिव सायुज्य प्राप्ति होती है और पुराण पाठ वा श्रवण करने से नाना भोग करके अंत में शिव लोक में गमन होता है और अनुक्रमणिका श्रवण किंवा पाठ करने से श्रोता एवं पाठक उभय शिवभक्त होते हैं एवं बहुकाल स्वर्ग भोग करते हैं । द्वादश वाराह पुराण पूर्व एवं उत्तर भाग २४००० चौबीस सहन श्लोक विष्णु माहात्म्य वर्णन भूमि-वराह संवाद मानवकल्प प्रसंग । पूर्व भाग -१. आदिकृत वृत्तांत रंभा चरित्र कथन २. दुर्जय प्रति श्राद्ध कल्प कथा ३. महातपस्या आख्यान ४. गौरी उत्पत्ति कथन ५. विनायक कथा ६. नाग कथा ७. सेनानी एवं आदित्य कथा ८. देवगण कथा ९. कुवेरगण सकल कथा १०. वृष कथा ११. सत्यतप कथा १२. व्रत आख्यान १३. अगस्त्य गीता १४. रुद्रगीता १५. महिषासुर वध में ब्रह्मा विष्णु एवं शिव की शक्ति एवं माहात्म्य कथन १६. पर्वाध्याय १७. श्वेत उपाख्यान १८. गोदान कथा १९. भगवदर्म २०. व्रत एवं तीर्थ कथा २१. अत्रि अपराध कथा २२. शारीरिक प्रयश्चित्त २३. सकल तीर्थ महिमा २४. मथुरा माहात्म्य विशेष वर्णन २५. ऋषि पुत्र प्रसंगाधीन यमलोक वर्णन २६. कर्मविपाक २७. विष्णुव्रत निरूपण २८. गोकर्ण माहात्म्य । उत्तर भाग - १. पुलस्त्य कुरुराज संवाद सकल तीर्थ माहात्म्य पृथक् पृथक् विस्तारित रूप वर्णन २. अशेष धर्मार ३. पौष्कर पुण्य कथा । फल श्रुति यह पुस्तक लिख कर चैत्री पूर्णिमा को कांचन गरुड़ एवं तिल धेनु समन्वित भक्ति पूर्वक ब्राहमण को दान करने से वैष्णव धाम प्राप्ति एवं देवता और ऋषि गण द्वारा वंदित होता है और पुराण पाठ करने किंवा श्रवण करने से संस्कार नाशिनी विष्णु भक्ति लभ्य होती है। 1 त्रयोदश स्कंदपुराण सप्त खंड ८१००० इक्यासी सहन श्लोक । १. माहेश्वर खंड २. वैष्णव खंड ३. ब्रह्म खंड ४. काशी खंड ५. अवंती खंड ६. नागर खंड ७. प्रभास खंड । इस पुराण में कार्तिकेय ने माहेश्वर धर्म कहा है प्रथम माहेश्वर खंड, प्रायः १२००० बारह सहस्र श्लोक - १. केदार माहात्म्य २. दक्ष यज्ञ कथा ३. शिवलिंग अर्चन फल ४. समुद्र मंथन ५. देवेंद्र चरित्र ६. पार्वती उपाख्यान एवं विवाह ७. कार्तिकेय उत्पत्ति ८. तारकासुर युद्ध ९. पाशुपत आख्यान १०. चंडाख्यान ११. दूत प्रवर्तन १२. नारद समागम १३. कुमार माहात्म्य १४. पंचतीर्थ कथा १५. धर्म नपाख्यान १६. नदी एवं सायर कीर्तन १७. इंद्रद्युम्न कथा १८. नाड़ी जंघ कथा १९. पृथ्वी प्रादुर्भाव २०. दमनक कथा २१. महीसागर संयोग २२. कुमार कथा २३. नाना आख्यान युक्त तारक युद्ध २४. तारकवध २५. पंचलिंग निवेश २६. दीपाख्यान २७. उर्द्रलोक स्थिति २८. ब्रहमांड स्थिति एवं परिणाम २९. वक्रश कथा ३०. महाकाल समुद्भव एवं अद्भुत कथा ३१. वासुदेव माहात्म्य ३२. करितीर्थ वर्णन ३३. नाना तीर्थ कथा ३४. गुप्तक्षेत्र कथा ३५. पांडवों की पुण्य कथा ३६. महाविद्या प्रसाधन ३७. तीर्थयात्रा समाप्ति ३८. अरुणाचल माहात्म्य ३९. सनक एवं ब्रह्मा की कथा ४०. गौरी तपस्या एवं तीर्थ निरूपण ४१. महिषासुर के पुत्र का आख्यान एवं उसका अद्भुत वध ४२. शोनाचल में भगवती का नित्य अवस्थान कथन । द्वितीय वैष्णव खंड - १. भूमि वराह आख्यान रोचक क्रुद्ध माहात्म्य २. कमला कथा ३. श्री निवास स्थिति ४. कुलाल आख्यान ५. सुवर्ण मुख कथा ६. नानाख्यान युक्त भारद्वाज कथा १०. अंबरीष कथा ११. इंद्रद्युम्न आख्यान १२. विद्युनति कथा १३. जैमिनी कथा १४. नारद कथा १५. नीलकंठ आख्यान १६. नृसिंह वर्णन १७. राजा की अश्वमेध कथा एवं ब्रहमलोक गति १८. रथयात्रा विधि एवं जन्म और स्नान यात्रा विधि १९. दक्षिणामूर्ति आख्यान २०. गुंडिचा आख्यान २१. रथ रक्षा विधान २२. शयनोत्सव वर्णन २३. मंत्रोक्त श्वेतोपाख्यान २४. शक्रोत्सव २५. दोलोत्सव २६. भगवान का सांवत्सरिक व्रत कथन २७. विष्णु पूजा २८. मोक्ष साधन मंत्रोक्त नाना योग निरूपण २९. दशावतार कथा ३०. स्नानादि कीर्तन ३१. बदरिका माहात्म्य rotte भारतेन्दु समग्र ९४६