पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/२८

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (६) अग्रेजो के इन उद्धत व्यवहारो से चिढकर सिराजुद्दौला ने कलकत्ते पर चढाई की। अमीचन्द के मित्र राजा राय रामसिंह ने गुप्त पत्र लिखकर एक दूत के हाथ अमीचन्द के पास भेजा कि वह तुरन्त कलकत्ते से हट जायं जिसमे उन पर कोई आपत्ति न पावै परन्तु वह पत्र बीच ही मे दूत को धमकाकर अग्रेजो ने ले लिया, इसका कुछ भी समाचार अमीचन्द को न विदित हुना। अग्रेजो ने तुरन्त सेना भेजकर इन्हें बन्दी किया और कारागार को ले चले।सारे नगर के लोग हाहाकार करने लगे। "अमीचन्द के यहाँ उनके एक सम्बन्धी हजारीमल्ल कार्याध्यक्ष थे। उन्होने डरकर धन, रत्न और परिवार के लोगो को लेकर भागने का विचार किया। अग्रेजो से यह न देखा गया, श्रेणी की श्रेणी अप्रेजी सेना आने और अमीचन्द के घर को घेरने लगी। इनका जमादार एक सद्वश जात क्षत्रिय था, वह इनके नौकर बरन दाजो और और नौकरो को इकट्ठे करके रक्षा का उपाय करने लगा। फिरङ्गियो ने प्राकर सिंहद्वार पर हाथाबाही प्रारम्भ की। लहू की नदी बहने लगी। अन्त मे इनके बर्कन्दाज न ठहर सके, एक एक करके बहुतेरे भूतलशायी हो गए। जहाँ तक मनुष्य का साध्य था इन लोगो ने किया। फिरङ्गियो की सेना महा कोलाहल के साथ जनाने मे घुसने लगी, अब तो जमादार का रक्त उबलने लगा। हैं | जिस आर्यमहिला के अन्त पुर मे भगवान सूर्यनारायण प्रत्यत आदर के साथ प्रवेश करते हैं वहाँ म्लेच्छ सेना का पदस्पर्श होगा? जिस मालिक के परिवार के निष्कलङ्क कुल की, अवगुठनवती कुल कामिनियो को पर पुरुष की छाया भी नहीं छू सकी है उनका पवित्र देह म्लेच्छो के हाथ से कलङ्कित होगा? इससे तो हिन्दू बालाओ को मौत की गोद ही कोमल फूल की सेज है, यह प्राचीन हिन्दू गौरव-नीति तुरन्त जमादार के हृदय मे उदय हुई, उसने कुछ भी आगा पीछा न cıl of which the majority being prepossessed against Omichand concluded that the messenger was an engine prepared by himself to alarm them and restore his importance but letters were despatched to Mr Watts, instructing him to guard against and evil consequences from this proceeding --Orme Vol II 54