पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/४८

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (२६) यह विवाह बाबू गोपालचन्द्र जी ने किया था। इन्हें दो पुत्र और एक कन्या हुई। ज्येष्ठ पुत्र जीवनदास का बचपन ही मे परलोकवास हुना। कन्या लक्ष्मीदेवी का विवाह बाबू दामोदर दास बी० ए० के साथ हुआ था जो कि नि सन्तान ही मर गई। तीसरा पुत्र इस प्रबन्ध का लेखक है। बाबू गोपालचन्द्र का विवाह दिल्ली के शाहजादो के दीवान राय खिरोधर लाल की कन्या पावती देवी से सवत १९०० मे हुआ। राय खिरोधर लाल का वश फारसी मे विशेष विद्वान था और इन्हें वश परम्परागत राय की पदवी दिल्ली दर्बार से प्राप्त थी। राय साहब को एक ही कन्या थी। इधर बाबू हर्षचन्द को एक ही पुत्र । विबाह बडी धूमधाम से हुआ। बाबू हर्षचन्द के चौखम्भास्थित घर मे राय खिरोधरलाल का शिवालास्थित भवन तीन मील से कम नहीं है, परन्तु बारात इतनी भारी निकली थी कि वर अपने घर ही था कि बारात का निशान समधी के घर पहुंचा, अर्थात् तीन मील लम्बी बारात थी। राय साहब ने भी ऐसी खातिर की थी कि कूनो मे चीनी के बोरे छुडवा दिए थे। यह विवाह काशी मे अब तक प्रसिद्ध है। यह पार्वती देवी अत्यन्त ही सुशीला थीं। प्राचीन स्त्रिएँ इनके रूप और गुण की प्रशसा करते नहीं अघातीं। इन्हें चार सन्तति हुईं। मुकुन्दी बीबी, बाबू हरिश्चन्द्र, बाबू गोकुल चन्द्र और गोबिन्दी बीबी। __अपनी सन्तानो मे केवल बडी कन्या मुकुदी बीबी का विवाह काशी के सुप्रसिद्ध रईस बाबू जानकीदास साहो के पुत्र बाबू महावीरप्रसाद के साथ, अपने सामने किया था। बाबू हरिश्चन्द्र का विवाह शिवाले के रईस लाला गुलाब राय की कन्या श्री मती मन्नो देवी से, बाबू गोकुलचन्द्र का विवाह बाबू हनुमानदास की कन्या श्री मती मुकुन्दी देवी से और श्री मती गोविदी देवी का विवाह पटना के सुप्रसिद्ध नायव सूवा महाराज ख्यालीराम के वशधर राय राधाकृष्ण राय बहादुर के साथ हुआ। इनके पुत्र राय गोपीकृष्ण बहुतेही योग्य और होनहार थे। बी ए पास किया था। २५ ही वर्ष की छोटी अवस्था मे गवन्मन्ट और प्रजा के परम प्रीति पात्र हो गए थे, परन्तु हाय ! निर्दय काल ने इस खिलते हुए कमल को उखाड़ फेंका! इनकी असमय मृत्यु पर सारे पटने मे हाहाकार मच गया। लेफ्टिनेन्ट