पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/१३

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इन्हों ने जो परिश्रम उठाया है उसके लिए यह हमारे ही नहीं प्रत्युत् इसके प्रत्येक पाठक के धन्यवाद के पात्र हैं। इस ग्रंथ में भारतेन्दु जी के जो कई चित्र दिये गये हैं उनके लिये वा० राधाकृष्णदास जी वी० ए० को धन्यवाद देना चाहिए, जिन्हों ने अपने चित्र-संग्रह में से इनके फोटो लेने की आज्ञा सहर्ष देदी थी। घबके अंत में प्रांतीय सर्कार तथा हिन्दुस्तानी एकेडेमी को धन्यवाद देना उचित है जिनके कारण यह ग्रंथ इतने मनोरंजक रूप में पाठकों के सम्मुख उपस्थित हो रहा है। दीपमालिका १६६१ } -व्रजरत्नदास: