पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/४०५

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३६६ तक बहुत परिशिष्ट-आ] इस प्रकार देता हूँ कि कुछ वर्षे हुए कि मुझसे और उनसे परिचय हुआ था और तब से मैं बराबर उन्हें बड़े सम्मान और आदर की दृष्टि से इसलिये देखता आता हूँ क्योंकि उनमें सामाजिक तथा राजनैतिक से गुण हैं। इस नगर में मैं उनके साथ चार वर्ष तक ऑनरेरी मैजिस्ट्रेट रहा था । यहाँ के गण्यमान्य रईस की हैसियत से इन्होंने सभी नाम- रिक कार्यो में योग दिया है जिसके लिये यह शिक्षा आदि के कारण बहुत ही योग्य हैं । बालकों के लिये इन्होंने बहुत दिन हुए एक स्कूल संस्थापित किया था, जिससे बहुत लाभ पहुँच रहा है। राजनैतिक लेखक की हैसियत में तथा उनके पारिवारिक और नागरिक जीवन स्ले में सर्वदा विश्वास करता आया हूँ कि सच्चे और पूर्ण राजभक्त हैं। देशीय भाषाओं पर विस्तृत अधि- कार रखते हुए और उच्च कोटि के कवि होते हुए यह अपनी रचना में हास्य रस का पुट अवश्य देते थे जिससे यह कभा कभी व्यंग्यात्मक लेख लिख देते थे। दुर्भाग्य से ऐसे ही लेख से तत्कालोन हाकिम इनपर क्रुद्ध होगया और यह कोप दृष्टि अवतक उन पर बनी रही। बनारस के प्रत्येक नगरवासो बा० हरिश्चन्द्र का सच्चा आदर करते हैं और वे सभी इसपर प्रसन्न होंगे यदि यह कोपष्टि हटा ली जाय और सर्कार सनपर पुन: विश्वास कर ले। बनारस, १५ जुलाई १८८० ई० ह० ० जे० लाजरस एम० डी० मिस्टर एडविन ग्रीस यह गद्य तथा पद्य दोनों ही के भारी लेखक थे और इनका एक भारी मुंडल पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था.। हिंदी साहि. त्य के विकास पर इनका कितना प्रभाव पड़ा था और दोनों गद्य