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भारत का संविधान

भाग १२—वित्त, सम्पत्ति, संविदाएं और व्यवहार-वाद—
अनु॰ २६७—२६९

मंडल द्वारा, विधि द्वारा, प्राधिकृत होना लम्बित रहने तक ऐसी निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिये अग्रिम धन देने के लिये उस को योग्य बनाने के हेतु ऐसी निधि राज्य के राज्यपाल [१]* * * के हाथ में रखी जायेगी।

संघ तथा राज्यों में राजस्वों का वितरण

संघ द्वारा आरोपित
किये जाने वाले किन्तु
राज्यों द्वारा संगृहीत
तथा विनियोजित किये
जाने वाले शुल्क
२६८. (१) ऐसे मुद्रांक-शुल्क तथा औषधीय और प्रसाधनीय सामग्री पर ऐसे उत्पादन-शुल्क, जो संघ-सूची में वर्णित हैं, भारत सरकार द्वारा आरोपित किये जायेंगे, किन्तु—

(क) उस अवस्था में जिसमें कि ये शुल्क [२][संघ राज्यक्षेत्र] के भीतर उद्गृहीत किये जाने वाले हों, भारत सरकार द्वारा, तथा
(ख) अन्य अवस्थाओं में जिन जिन राज्यों के भीतर ऐसे शुल्क उद्गृहीत किये जाने वाले हों, उन उन राज्यों द्वारा,

संगृहीत किये जायेंगे।

(२) जो शुल्क किसी राज्य के भीतर उद्गृहीत किये जाने वाले हैं उन में से किसी के, किसी वित्तीय वर्ष में के आगम, भारत की संचित निधि के भाग न होंगे किन्तु उस राज्य को सौंप दिये जायेंगे।

संघ द्वारा आरोपित
और संगृहीत, किन्तु
राज्य को सौंपे जाने
वाले कर
२६९. (१) निम्नलिखित शुल्क और कर भारत सरकार द्वारा आरोपित और संगृहीत किये जायेंगे, किन्तु राज्यों को खंड (२) में उपबन्धित रीति से सौंप दिये जायेंगे, अर्थात्—

(क) कृषि-भूमि से अन्य सम्पत्ति के उत्तराधिकार विषयक शुल्क;
(ख) कृषि-भूमि से अन्य सम्पत्ति-विषयक सम्पत्ति-शुल्क;
(ग) रेल-समुद्र या वायु से वाहित वस्तुओं या यात्रियों पर सीमा-कर;
(घ) रेल भाड़ों और वस्तु-भाड़ों पर कर;
(ङ) श्रेष्ठि-चत्वरों और वायदा बाजारों के सौदों पर मुद्रांक-शुल्क से अन्य कर;
(च) समाचारपत्रों के क्रय-विक्रय तथा उन में प्रकाशित विज्ञापनों पर कर।
[३][(छ) समाचारपत्रों से भिन्न वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर उस सूरत में कर जिसमें कि ऐसा क्रय या विक्रय अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य की चर्या में हो।

  1. "या राजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  2. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा "प्रथम अनुसूची के भाग (ग) में उल्लिखित राज्यों" के स्थान पर रखे गए।
  3. संविधान (षष्ठ संशोधन) अधिनियम. १९५६. धारा ३ द्वारा अन्त:स्थापित।