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भारत का संविधान

भाग १२--वित्त, सम्पत्ति, संविदाएं और व्यवहार-वाद--अनु० २६९-२७०'

(२) किसी वित्तीय वर्ष में के ऐसे किसी शल्क या कर के शद्ध आगम, वहां तक भारत की संचित-निधि के भाग न होंगे, जहां तक कि वे आगम संघ [राज्य-क्षेत्रों] से मिलने वाले माने जायें, किन्तु उन राज्यों की सौंप दिये जायेंगे जिनमें वह शुल्क या कर उस वर्ष में उद्‌गृहीत होना है तथा उन राज्यों में ऐसे वितरण-सिद्धान्तों के अनुकूल वितरित किये जायेंगे जैसे कि संसद् विधि द्वारा सूत्रित करे।

[(३) यह अवधारित करने के लिये कि अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य की चर्या में वस्तुओं का क्रय या विक्रय कब होता है संसद् विधि द्वारा सिद्धांत सूत्रित कर सकेगी।]

'२७०.' (१) कृषि-आय से अतिरिक्त आय पर करों को भारत सरकार संघ द्वारा द्वारा उद्गृहीत और संग्रहीत किया जायेगा तथा खंड (२) में उपबन्धित रीति के हीत और अनुसार संघ और राज्यों के बीच में वितरित किया जायेगा।

संघ द्वारा
हीत और
तथा संघ और
राज्यों के बीच
वितरित कर

२) किसी वित्तीय वर्ष में के किसी ऐसे कर के शद्ध आगम का, जहां तक विता वह आगम [संघ राज्य-क्षेत्रों] में से अथवा संघ-उपलब्धियों के सम्बन्ध में देय करों से मिला हुआ आगम माना जाये वहां तक के सिवाय, ऐसा प्रतिशत भाग, जैसा विहित किया जाये, भारत की संचित निधि का भाग न होगा किन्तु उन राज्यों को सौंपा जायेगा जिन के भीतर वह कर उद्गृहीत होना है तथा वह उन राज्यों को उस रीति और उस समय से, जो विहित किया जाये, वितरित होगा।

(३) खंड (२) के प्रयोजनों के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष में आय पर करों के उतने शुद्ध आगम का, जितना कि संघ-उपलब्धियों के सम्बन्ध में देय करों का शुद्ध प्रागम नहीं है, वह प्रतिशत भाग, जो विहित किया जाये, '[संघ राज्य-क्षेत्रों]में से मिला हुआ आगम समझा जायेगा।

(४) इस अनुच्छेद में-
(क) “आय पर करों" के अन्तर्गत निगम-कर नहीं हैं ;
(ख) “विहित" का अर्थ है कि --
(१)जब तक वित्त-आयोग गठित न हो जाये तब तक राष्ट्रपति द्वारा आदेश द्वारा विहित;तथा
(२)वित्त-आयोग के गठित हो जाने के पश्चात् वित्त-आयोग की सिपारिशों पर विचार करने के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा

आदेश द्वारा विहित;

(ग)“संघ-उपलब्धियों" के अन्तर्गत भारत की संचित निधि में से दी जाने वाली सब उपलब्धियां और निवृत्ति-वेतन, जिनके सम्बन्ध में आय-कर पारोपित किया जा सकता है,भी हैं।

'संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २६ और अनुसूची द्वारा"प्रथम अनुसूची के भाग (ग) में उल्लिखित राज्यों" के स्थान पर रखे गये।

संविधान (षष्ठ संशोधन) अधिनियम, १६५६, धारा ३ द्वारा जोड़ा गया।