पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१०६

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। शिवाजी पार्क, बम्बई ६५ अनुभव न हो । उसमें तो हमें परदेशी लोगों को भी साथ लेना पड़ेगा। क्योंकि इधर हमारा कोई आदमी जानता ही नहीं कि पेट्रोल किस तरह से निकालना चाहिए। या पेट्रोल का कुआं कहाँ है ? तो उसमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। अब हमें कोयला चाहिए। कोयले के बिना कोई कारखाना नहीं चलता। कोयला तो व्यवसाय की चाबी है। कोयले के बिना कोई काम नहीं चलता। न गाड़ी चलती है, न इंजन चलता है, न कोई कारखाना चलता है। तो कोलि- यारी तो धरती में पड़ी है। हमारे देश में बहुत-सी खानें हैं, जिनमें कोयला भरा है । लेकिन माइनों में से कोयला ग्रेजुएटों से नहीं निकलेगा, या सोश- लिस्टों से भी नहीं निकलेगा । वह तो मज़दूरों से ही निकलवाना पड़ेगा। अभी हम मजदूरों से मेहनत करके कोयला निकालने को कहेंगे, तो वे उनके पास पहुंच जाएंगे और कहेंगे कि हड़ताल करो। क्या अब मैं बताऊँ आपको ? बताने की बहुत-सी बातें हैं। उसमें बहुत समय लगेगा। लेकिन जब मैं यह बातें कहता हूँ तो वे कहते हैं कि यह हमारा बिटर क्रिटिसिम ( कड़ी समालोचना ) करता है । मैं बिटर क्रिटिसिज्म की बात नहीं करता हूँ। मैं आपके दिल में घुसना चाहता हूँ और आप को बताना चाहता हूँ कि कितनी सदियों के बाद आज आप को यह मौका मिला है। एक हजार साल के बाद आज हमारा हिन्दुस्तान जितना संगठित हो गया है, उतना वह पहले कभी नहीं था। अपने इतिहास को पढ़ो तो सही । कभी आपने सोचा कि हमने अपना हिन्दुस्तान किस तरह गवाया था? अपने पागलपन से गँवाया था। हमारे राजा आपस में लड़ते थे। हमारे अपने यहाँ के लोग एक नहीं थे और हमारे ही कुछ लोगों ने दुश्मन का साथ दिया था। उसी से हमने अपना देश गँवाया । अब गान्धी जी की तपश्चर्या से यह पहला मौका आया है। कई लोगों ने बलिदान किया, तब हमारे सद्भाग्य से यह मौका हमें मिला है । यह मौका गँवाओगे तो क्या करोगे ? हमारा तो दिन खत्म हुआ। हमारा काम तो पूरा हुआ। लेकिन अपनी यह गठरी आप अपने सिर पर रख कर अपना बोझा आप उठा सकें, ऐसी शक्ति हम आपको देना चाहते हैं। सोते हुए के ऊपर गठरी रखने से क्या फायदा? अगर आप लोग जागृत नहीं रहेंगे, तो बम्बई गिर जानेवाला है । बम्बई आज तक तो देश में सब से पहला रहा है। इधर जो कुछ धन पैदा हुआ, इधर जो दिमाग पैदा हुआ, इधर जो पोलिटिकल लीडर पैदा हुए, उन पर आप