पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१५

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भारत की एकता का निर्माण - नेवी (जल सेना) और हवाई शक्ति ( एअर फोर्स ) इन तीनों का काफी मजबूत इन्तजाम हमारे पास होना चाहिए । यह न हो, तो आजाद हिन्दुस्तान आज की हालत में खड़ा नहीं रह सकता। इसलिए हमारे पास इन तीनों चीजों का पूरा सामान होना चाहिए। तीसरा काम यह है कि आज के युग में यदि हमें अनुकूल फौज रखनी हो, तो उसके लिए देश में काफी इण्डस्ट्री ( उद्योग ) होनी चाहिए। उसके लिए जितनी इण्डस्ट्री चाहिए, वह इण्डस्ट्री यदि हमारे पास न हो, तो हम न तो कोई फौज रख सकते हैं और अगर हम फौज रख भी लें, तो वह कोई काम न दे सकेगी । तो हमें अपने मुल्क में बड़े-बड़े कारखाने बनाने होंगे। उसके लिए आज क्या हमारे पास कोई सामान है ? न हो, तो हमें सोच लेना पड़ेगा कि हमें क्या करना है ? हमें यह कबूल करना पड़ेगा कि हम लोग बहुत पीछे हैं। हमारा मुल्क आज इण्डस्ट्री में बहुत पीछे है। पिछले पांच-छ: साल जो विश्व-युद्ध चला था, उससे हमारी आर्थिक स्थिति में काफी अन्तर आ गया। हमारा मुल्क एक प्रकार से देनदार मुल्क था, लेकिन अब वह लेनदार मुल्क बन गया है । इंग्लैंड के पास से हमारा काफी लेना निकलता है। हमारा क्रेडिट ( साख ) तो आज बहुत है, लेकिन उससे कोई काम की चीज हमारे पास नहीं आती है । लेनदार की हालत होते हुए भी हम देनदार से बुरी हालत में पड़े हैं। आज कोई चीज हमारे पास नहीं है । तो हमें अपनी इण्डस्ट्री बनानी है, उद्योग ( व्यवसाय ) बनाना है । देश का उद्योग बनाने में हमें आपका साथ चाहिए । एक तो लेबर ( श्रम ) का साथ चाहिए। आज हमारी लेबर की हालत बहुत बुरी है । मजदूर लोग आज एक ही बात समझते हैं और वह यह कि किसी न किसी तरह से उन्हें हड़ताल करनी है। उन्हें बहकाने वाले लोग समझते हैं कि इससे उनकी लीडरशिप बनी रहती है। यह बहुत बुरी बात है। हमारे लिए यह सोचने की बात है कि यदि इस तरह से हम काम करते रहेंगे, तो हमारी इण्डस्ट्री तो बढ़ेगी नहीं। तब हमारी लेबर क्या करेगी ? उसको क्या मिलेगा? तो वह चीज हमें पहले सोच लेनी चाहिए । इसका मतलब यह नहीं है कि मजदूरों को जो तनख्वाह मिलनी चाहिए, जो मज़दूरी मिलनी चाहिए, वह उन्हें नहीं मिले । ऐसा नहीं। लेकिन उसको क्या मिलना चाहिए, उसके लिए हमें झगड़ा नहीं करना चाहिए, उसके लिए हमें काम नहीं रोकना चाहिए । उसके लिए हमें फ़राख- .