पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१८५

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१६८ भारत की एकता का निर्माण बाद जब चौथा दिन आया, तो उसमें कोई ज्यादा समय लेने की बात नहीं थी। तो आपने देखा कि ये सब चीजें हमें रखनी पड़ती है, हिन्दुस्तान की फौज का पूरा सामान, हवाई जहाज, नौका, टैंक, गोला-बारूद आदि । वह सब हम कहाँ से लाते हैं ? इसके लिए कितना खर्चा करना पड़ता है ? इसके लिए हमें क्या-क्या तैयारी करनी पड़ती है ? इन सब चीजों का भी यदि आप ख्याल करें तो आप समझेंगे कि यह कोई आसान काम नहीं है, यह बहुत कठिन काम है। आप यह भी जानते हैं कि हम लोगों ने कभी राज-काज तो चलाया नहीं। हम कोई एडमिनिस्ट्रेशन ( शासन ) चलाने वाले तो थे नहीं। हमारे पास कोई अनुभव भी नहीं था। हमने तो केवल एक ही चीज़ सीखी थी, और वह यह कि जेल जाना, या गोली आए तो गोली भी खानी । मगर राज्य किस तरह से चलाना होता है, यह तो हम जानते नहीं थे। यह जो काम हमारे सिर आकर पड़ा, बड़ी मुसीबत का काम है । फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं। जो लोग हमारी टीका कर रहे हैं और कहते हैं कि हमको औपोजीशन ( विरोधी दल ) की जरूरत है, उनसे मैं बड़ी अदब से कहता हूँ कि आज औपोजीशन (विरोध ) की जरूरत नहीं, आज कोऑपरेशन ( सहयोग) की जरूरत है । हिन्दुस्तान के सब लोग मिल कर यदि हिन्दुस्तान को नहीं उठाएंगे, तो फिर पीछे पछताना पड़ेगा । इसलिए मैं आज कहता हूँ और सबसे कहता हूँ कि भाई, ये चीजें छोड़ दो और झगड़ों में न पड़ो। हिन्दुस्तान जब मजबूत बन जाएगा और एशिया की लीडरशिप लेने का उसका अधिकार हो जाएगा, तब आप जितना खेलना चाहोगे, खेलना, कूदना, लड़ना, मस्ती करना, जितना झगड़ा करना है, कर लेना । लेकिन यदि इस समय झगड़ा-फिसाद करोगे, तो बदनामी होगी। यदि इस समय पर भगड़ा होगा, तो आपके हाथ में जो चीज़ आई है, वह भी गिर जाएगी। तो मैं कहता हूँ कि इस समय तो सावधानी की बहुत अधिक जरूरत है। अब में आपके सामने सबसे बड़ी बात रखने लगा हूँ। और वह बात अन्य जगह नहीं बन सकती, वह केवल बम्बई में ही बन सकती है। वह यह है कि हिन्दुस्तान में आज जो हमारा आर्थिक तन्त्र है, वह तितर-बितर हो गया है। और यदि हम इसे ठीक नहीं करेंगे, तो आर्मी भी गिर जाएगी, क्योंकि आर्मी के लिए जितना हमें खर्चा चाहिए, जो सामान हमें चाहिए, वह यदि हमारे पास