पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२३१

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- २१० भारत की एकता का निर्माण जरूरत की इस घड़ी में देश सेवा की खास जिम्मेवारी आप लोगों पर है। पुरानी पीढ़ी के हम लोगों के जीवन का अब सायंकाल आ रहा है। हमें तो सूर्यास्त और सन्ध्या के तारे की प्रतीक्षा है। हमारे दिन अब बीत गए हैं, और हमें गर्व है कि अपनी ज़िन्दगी में ही हमने देश की आजादी हासिल कर ली। हम अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं कि हमको कुछ वर्ष ऐसे भी मिल गए हैं, उनमें इस आजादी को संगठित करने की यथाशक्ति कुछ सेवा भी कर सके । देश के नेतृत्व का बीड़ा जल्दी ही आपको उठाना पड़ेगा और सार्वजनिक कामों का संचालन करना होगा। आप अपने जीवन की उस अवस्था पर हैं, जब मनुष्य का वास्तविक निर्माण होता है। आप विश्व-विद्यालय को छोड़कर जा रहे हैं और अपने व्यावहारिक तथा सांसारिक जीवन के द्वार पर खड़े हैं। अपने-अपने व्यवसायों में आपको मातृभूमि की सेवा करने के बहुत-से मौके मिलेंगे। आपमें से जो अभी पढ़ाई जारी रखेंगे, या जो अपनी पढ़ाई समाप्त कर जीवन के महान विश्वविद्यालय में दाखिल हो जाएँगे वे सब भविष्य के लोग हैं। आप को अपनी बुद्धि, आत्मा और शरीर को उन कामों के योग्य बनाना है, जो आपके सामने । हमने आपको वह सब से कीमती उपहार दिया, जो हम दे सकते थे। जिन जंजीरों और बेड़ियों से हमारी भारत माता के हाथ पैर जकड़े हुए थे, वे आज तोड़ दी गई हैं। हिन्द अब आजाद लोगों का देश है। अब आपको गुलामों की तरह व्यवहार नहीं करना पड़ेगा, जैसा कि पहले किसी समय में करना पड़ता था। आजाद लोगों की हैसियत से अब आपको अपना मस्तक ऊँचा रखना है। आपको अपनी आजादी की इज्जत और उसका नाम बनाए रखना है । जब हम गुलाम थे, तो हम अपनी कमियों और बुराइयों के लिये बहाने ढूंढ़ सकते थे । तब हमारे पास दोष धरने के लिए बने- बनाये पान मौजूद थे और अपनी सभी कमियों के लिए हम अपनी परतन्त्रता का नाम ले सकते थे। परन्तु अब हम इस अयोग्यता की बिना पर दूसरों से सहानु- भूति या अनुकम्पा नहीं प्राप्त कर सकते । अब अपने भाग्य के निर्माता हम ही हैं और इसे जैसा हम चाहें वैसा बना सकते हैं। इसलिए मैं आपसे अपील करता हूँ कि जो समस्याएँ मैंने आपके सामने रखी हैं, उन पर आप रचनात्मक रूप से विचार कीजिए। याद रखिए कि विध्वंस करना आसान है, परन्तु निर्माण के काम में असीम शान्ति और मेहनत की जरूरत होती है। पुरानी इमारत ढाने से पहले अपने नये भवन का रूप निश्चित