पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३००

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राष्ट्रीय मजदूर संघ का दूसरा अधिवेशन २७२ योड़ा खोखा. है । उसमें जान नहीं । उसमें खाली तूफान करने की जान है, मांग करने की जान है । आज तक तो ट्रेड यूनियन कांग्रेस के ही प्रतिनिधि बाहर जाते थे, जो वहां हमारी बदनामी करते थे और कहते थे कि ये तो कैपिटलिस्टों के पिळू हैं, पूंजीवादी के पिळू हैं। हम लोग सब सुनते रहते थे और बरदाश्त करते रहते थे। जिस जबान से वे बोलते हैं, उस जबान से हम नहीं बोलते । हम तो अपने काम से मतलब रखते थे । आज मारा. अपना संगठन है और उसमें १२ लाख आदमी है । आज ८०० से ऊपर हमारे ट्रेड यूनियन की शाखाएँ होंगी, और इतनी संस्थाओं का संगठन बन जाने से हमारे १२ लाख मेम्बर हो गए हैं। उनके कुल मेम्बर ६,७ लाख होंगे। उसमें भी कितने बोगस है, वह मैं नहीं जानता। क्योंकि उनका मेम्बर- शिप, बहुत कम सच्चा मेम्बरशिप है। हम मजदूरों से मैला नहीं कराना चाहते और न उन्हें गलत रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। उससे मजदूर लोग गिर जाने वाले हैं । उसको साफ करना चाहिए और साफ बात कहनी चाहिए। मजदूर कभी झूठ न बोलें । वे क्यों झूठ बोलें ? मेरी नज़र से और गान्धी जी की नज़र से भी अगर ताकत वाला कोई आदमी है तो वह मजदूर है, क्योंकि वह अपने हाथ से काम करता है। उसमें इतनी शक्ति है कि वह सूखी रोटी भी हजम कर जाता है । दूसरे को दवा खानी पड़ती है, अच्छी चीजें खाकर भी खाना हजम नहीं होता। तो उनमें जो ताकत है, वह यदि संगठित की जाए, तो कोई ताकत उसके सामने नहीं ठहर सकती। लेकिन मजदूरों के पास यह सच्चा संगठन न हो तो मजदूर भी गिर जाएँ। और मजदूर के संगठन में यदि सत्य न रहा और असत्य का प्रवेश हुआ या उन्हें अपने संगठन की ताकत का गर्व हो गया, तो इससे भी वे गिर जाएंगे। तो गान्धी ने पहले ही से बताया था कि ट्रेड यूनियन कांग्रेस में तब जाना, जब ट्रेड यूनियन कांग्रेस साफ़ हो । और वह साफ न हो, तो अपनी अलग ट्रेड यूनियन कांग्रेस बनाओ। आज वही अलग बनी में अब उनका प्रतिनिधि नहीं जा सकता, हमारा प्रतिनिधि ही जाएगा । अगर आज आपको इन्साफ चाहिए, तो उसके लिए न हड़ताल करने की जरूरत है और न भिक्षा मांगने की । अपने हक से आपकी लेबर का एक प्रति- निधि हिन्दुस्तान की सरकार में बैठा है और उसके पास पूरी ताकत है । जो जो । कुछ आपको चाहिए, अगर वह ठीक हुआ तो आपको जरूर मिल जाएगा। भा०१८ । परदेश -