पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३३२

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चौपाटी, बम्बई ३०३ बल बनाएँ । एक दल, दूसरा दल, साम्यवाद, समाजवाद, मिथ्यावाद, बक- वाद, चाहे जो बनाएँ, सब ठीक है। लेकिन यह तब तक, जब तक यहां एक छत्र छाया है । जब मुल्क में आप कुछ पैदा करेंगे, तभी तो बढ़ेंगे । लेकिन कुछ पैदा ही न किया तो ? तब तो जैसे एक हड्डी के टुकड़े पर कुत्ते पड़ते हैं और एक दूसरे को काटते हैं, वही हाल होगा । उससे कोई फायदा नहीं। उससे तो मुल्क को इज्जत भी गिर जाएगी। तो ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करो । अपने हक को माँगो, खुशी से माँगो । लेकिन हमारा जो आर्थिक ढाँचा है, उसे ठीक ढंग से सँभालो-और उसे मत बिगाड़ो। देश की ज़रूरत के लिए ज्यादा धन पैदा करो। मैं पूंजीपतियों से भी कहता हूँ कि आज आप नफा पैदा करने की नज़रें छोड़ दो । आज तुम्हारी निगाह अपनी इज्जत पैदा करने की ओर होनी चाहिए । तुम बहुत बदनाम हुए हो । तुम्हारे बारे में काला बाजार, सफेद बाजार, बहुत तरह की बातें लोग कहते । वे सब बातें अब भूल जाओ और हर तरह से निश्चय करो कि साल, दो साल, या तीन साल, नफा खाने की बातें छोड़ दो। अभी भी नुकसान उठाने को तुम्हें कोई नहीं कहता, मगर अब नफ का लालच छोड़, पहले मुल्क को मजबूत बनाने का काम करो, उसके बाद नफ की बात सोचना । कहा जाता है कि पिछले मध्यम वर्ग को बहुत दुख उठाना पड़ा। सही बात है । लेकिन जब हम मध्यम वर्ग की व्याख्या करते हैं, तो उसमें किसको डालना और किसको नहीं डालना, यह मुश्किल हो जाता है । उसमें सब घुस जाते हैं। तो दुख उनको भी है। आज हिन्दुस्तान में सब वर्गों को दुख हैं। लोग मानते हैं कि धनी वर्ग को सुख है और बाकी सब दुखी हैं। मैं यह नहीं मानता कि जिसमें खाने को ज्यादा हो और इज्जत न हो वह सुखी जीवन है । क्योंकि खाली पेट भरने से तो कोई काम नहीं होता है । वह तो जानवर भी करता आजकल धनिक वर्ग को गाली देना जैसे हमारा कर्तव्य हो गया है । किसी को लीडर बनना हो तो वही शुरू करें, नहीं तो काम नहीं चलता। मगर उससे न धनिक को फायदा है, न गाली देनेवाले को ही। तो हमारा काम तो सब को समझाना है । सब को साथ लेना है । आप कहते हैं कि दुनिया में दो बड़े दल हैं और दो वाद हैं। एक साम्यवाद दुनिया के बहुत बड़े हिस्से में फैल