पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/४९

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भारत की एकता का निर्माण है ? खाली बोलने से कोई बात थोड़े ही होती है ? यदि हमारा काम ठीक और साफ होगा तो लोग हमारे पीछे चले आनेवाले हैं। मैं तो हिन्दू महा- सभावालों से भी कहता हूँ कि बाहर रहकर क्या करोगे? आओ, कांग्रेस में चले आओ । जो कुछ करना हो, हमारे साथ बैठकर बात करो । यह क्यों मानते हो कि अलग रहने से ठीक काम होगा? तो हिन्दू महासभा को में बार-बार सलाह देता हूँ कि अलग रहने से आप तो अस्पृश्य हो गए, हरि- जन जैसे आप हो गए! एक अलग टुकड़ा बनाकर आपको अलग नहीं बैठना चाहिए, बल्कि भीतर आ जाना चाहिए। अलग बैठने से आपकी ताकत नहीं बढ़ेगी । आप ऐसा क्यों गुमान रखते हैं कि आप ही करोड़ों हिन्दुओं को ठीक रखेंगे। इस तरह से तो हिन्दू-धर्म छोटा हो जाएगा, बहुत संकुचित हो जाएगा। हिन्दू धर्म में तो काफी उदारता पड़ी है, काफी टॉलरेन्स (सहिष्णुता) पड़ी है । तो आपको इस तरह से नहीं करना चाहिए। तो देखो, कांग्नेस ने उनको भी सरकार में रखा। हमारे डा० जान मथाई क्रिश्चियन हैं। वह टाटा के यहाँ थे। लेकिन उनमें ताकत थी, वह काबिल थे, तो हमने उनको भी ले लिया। एक पारसी गृहस्थ हैं, वह भी कभी कांग्रेस में नहीं थे, वह भी आए। सरदार बलदेव सिंह हैं, वह सिक्खों के प्रतिनिधि हैं, वह अकाली दल के थे, और इन्डस्ट्रियलिस्ट भी हैं। तो इतने लोगों को तो हमने अपनी कैबिनेट के भीतर लिया । तो हम इस तरहसे काम नहीं करते।-आप लोग ऐसा न समझे कि कांग्रेस कोई एक जमात बनाकर या कोई अपना बाड़ा बनाकर काम करना चाहती है । कांग्रेस का इस तरह का कोई मकसद नहीं है । लेकिन कांग्रेस का धर्म यह हो जाता है कि हिन्दुस्तानभर में जितने लोग रहते हैं, वे सब यह महसूस करें कि वे अपने राज में पड़े हैं, अपनी हुकूमत में पड़े हैं। उन सब को पूरी सिक्योरिटी देनी चाहिए । उनकी सलामती, उनके रक्षण की जिम्मे- दारी अगर कांग्रेस न ले सके तो वह राज नहीं चला सकेगी। तो, जितने नौजवान भाई इस रास्ते पर चलते हैं, उनसे मेरी बड़ी अदब के साथ अपील है कि आप हम पर भरोसा करें। हम जिस रास्ते पर आपको ले जाना चाहते है, उस रास्ते पर आप चलें तो राज आपके अपने हाथों में आनेवाला है। हमको राज से क्या करना है ? इस हुकूमत को हम क्या करेंगे ? आपको यह भार उठाना है, तो आप इसके लिए तैयार हो जाइए । आपके और कांग्रेस के बीच झगड़ा क्यों है ? आप कांग्रेस में चले जाइए। । 9