पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/५१

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भारत की एकता का निर्माण आज हमारी हालत ऐसी है कि हमें हिन्दुस्तान की रक्षा करनी है, हिन्दुस्तान को उठाना है, उसे मजबूत बनाना है, और इसके लिए आप हमें एक मौका दीजिए । एकट्र.स कर लो कि अभी चार पांच साल तक हमें काम करने दोगे। नहीं, तो दूसरा काम करो। यदि आपको यही लगता है कि आप यह काम नहीं कर सकते हैं, तो मेहरबानी करके आप बोझ उठा लीजिए। चार-पांच साल हम आपके पीछे नहीं लगेंगे, हम आपका साथ देंगे, मदद करेंगे । लेकिन आप यह क्या कर रहे हो? जब परदेसी हुकूमत थी, तब तो हम समझ सकते थे। लेकिन अब यह हमारी खुद की हुकूमत है, आपकी अपनी सरकार है । यदि कुछ समझाना हो, तो हमको समझाओ, लेकिन बार-बार इस तरह झगड़ा करने से क्या फायदा ? आज यह ट्रेड यूनियन कांग्रेस, मजदूरों की संस्था, कम्यूनिस्टों के हाथ में । हमने देखा कि जब तक यह संस्था इन लोगों के हाथ में है, तब तक कोई काम नहीं होगा। क्योंकि यह तो बार-बार स्ट्राइक ( हड़ताल ) के सिवाय दूसरी बात ही नहीं करते हैं। और हड़ताल भी कैसे ? उसमें वाइलेंस (हिंसा ) करते हैं। मैनेजरों को मारना, आफीसरों को पीटना और लोगों को मारना। अगर मजदूर हड़ताल में शरीक न हो तो उसको भी मारना । उनका एक ही पेशा है कि किसी-न- किसी तरह अनरेस्ट ( अशान्ति ) पैदा करना । तब हमने सोचा कि हमें लेबर का अलग संगठन बनाना चाहिए। तो हमने अलग संगठन बनाने की कोशिश की। ठीक है । अलग संगठन बनाया, तो हमारा आपस में झगड़ा हुआ कि नहीं भाई, मजदूरों का हड़ताल करने का जो हक है, वह क्यों छीने लेते हो? तो हमने कहा कि भाई, हम कोई हक छीन नहीं लेते हैं । उनका यह हक कायम रहा । लेकिन मजदूरों और मालिकों के बीच झगड़ा हो, तो उसका फैसला पंच से कराओ। चार-पांच साल तक यह करो, पीछे उनका यह हक कायम रहेगा, हम उसे नहीं ले लेंगे। लेकिन चार-पाँच साल शान्ति से हमें काम करने दो। अगर हमें मजबूत फौज बनानी हो, तो उसके साथ हमें फौज का जितना सामान चाहिए; बारूद-गोला, मोटर-ट्रक, लोहा, पेट्रोल, कपड़ा, चीनी और खाना, वह सब हमें चाहिए। जितना सामान चाहिए, वह खूब अच्छा चाहिए। अच्छी रेलवे चाहिए, अच्छा तार चाहिए, अच्छा टेलीफोन चाहिए। अच्छी फौज रखनी हो, तो कौन-सी अच्छी चीज़ नहीं चाहिए ? सबसे पहले पूरी फौज चाहिए। फिर उस फौज की हिफाजत करनी चाहिए, उसे सब चीजें देनी चाहिए