पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/९९

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८८ भारत की एकता का निर्माण का है । ये सब आप ले लीजिए। उसके बाद मेरे पास बिहार से वहाँ के प्रधान मन्त्री का तार मुझे आया कि ये दोनों स्टेटें बिहार में जानी चाहिए, क्योंकि वह तो बिहार की ही हैं। तो मैंने उनको खबर दी कि भई, अब तो फैसला हो गया है, लेकिन आपको कुछ कहना हो तो मुझसे दिल्ली में आकर मिलो। सो वह मेरे पास दिल्ली आए। मेरे साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह जो फैसला हुआ, उसके बारे में हमने कुछ सुना नहीं था, कुछ जाना नहीं था। आपने फैसला कर दिया और उसमें हमें तो बहुत नुकसान होगा। आप अपना फैसला बदल दीजिए और ये दोनों स्टेटें बिहार को दे दीजिए। तो मैंने कहा, आप भी अपने सूबे में कांग्रेस की हुकूमत चला रहे हैं, मैं भी तो कांग्रेस का एक अदना सेवक हूँ। आप इस तरह से काम करना चाहें कि आज हमने वहाँ के राजाओं और मिनिस्टरों के साथ बैठकर फैसला किया और आपके कहने से हम और आप उसे अभी बदल दें, तो इस तरह से काम नहीं चल सकता। हाँ, उसकी जाँच करनी चाहिए। कोई कोर्ट का जज हम रखेंगे, जो इस सब की जाँच-पड़ताल करेगा। यदि आपकी बात सही होगी, तो यह फैसला हम बदल देंगे। आज आप इसे आर्जी फैसला मान लीजिए, और फिक्र न कीजिए । अब उसको समझा- बुझा कर मैंने भेज दिया। चन्द दिनों के बाद उड़ीसा की सरकार और बिहार की सरकार के अमल- दार वहाँ पहुँच गए और वहाँ जंगल में रहनेवाले जो आदिवासी लोग थे, बे तीर-कमान ले कर आ गए। कोई तीस-चालीस हजार आदिवासी वहां जमा हो गए और उन्होंने वहां लड़ाई की। उन्होंने पुलिस के सामने तीर फेंके । पाँच सात तीर पुलिस को लगे। जब तीस हजार ने दंगा किया तो पुलिस ने गोली चलाई। उसमें तीस-चालीस आदमी मर गए। उन बेचारे गरीबों में से ४०-५० घायल हुए और बाकी बेचारे रोते-रोते भाग गए । इस पर दोनों प्रान्तों की सरकारें मेरे पास बड़े-बड़े तार भेजती रहीं। उधर अखबारों में यह झगड़ा चलता रहा कि दोनों कांग्रेस की गवर्नमेंट हैं । अब हमें देखना चाहिए कि हम कहाँ जा रहे हैं। हमारे प्रान्तीय झगड़े हमें कितना गिराएंगे। मैंने कहा कि इसमें लड़ने की कोई बात नहीं है। हम एक जज को मुकर्रर करके सब बातों की जांच-पड़ताल कर अपना फैसला करेंगे। दोनों गवर्नमेंट अपना-अपना केस रख दें। अगर कोई कहे कि आज ही फैसला कर दो, तो यह कैसे हो सकता है ?