पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१४५

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भरतके प्राचीन राजयंदा अन्यसे पाया जाता है । वह वि० सं० १०५०, पॉप-नुदि ५ ( १९९४ ईसी) को समाप्त हुआ था। विक्रम-संवत् १०१ ( १००० ईसी) के एक लेप यादर्द-राजा भिल्लम दूसरे द्वारा मुझङ्का पास्त होना प्रकट होता है। | लपका देहान्त वि० सं० १०५४ (९९० ईसची ) में हुआ था। इससे मुञ्जका देहान्त वि० सं० १०५१ १ ९९५ ईसी) और विं सं. १८५४ (९५५ इंग) के बीच किसी समय हुआ होगा । | प्रबन्धचिन्तामणिका करो छिता है * गुजरातका राजा दुभाग वि० सं० १०७७ जेठ सुदै १२ को, अपने मूर्तीजे भीमको राजगद्दी पर विय दर, शीर्थव।की इच्छा, वनारसके दिए मला । 'मालपेमें पहुँचने पर वहाँ के राजा मुमने उसे कहला भेजा कि या तो तुमको छत्र, चनर भाई राजाचं छोड़ कर भिशुमके वेशमें जाना होगा या मुझसे लड़ता. पड़ेगा । दुर्लभजने यह सुन कर घर्मकार्य विन्न होंती देरर (भट्टाफ नेश महपान किया आंर सौर हा भीमको लस भेजा ।। हुमायापफ द्वाफार दिसता है कि नारा हा विषयी या ।.इससे उसी बहिन चावणी ( ग्वाचिजी) देवाने बन्नको राज्यसै दूर करके उराके पुत्र मल्लमानो गईपर बिठा दिया। इससे बिरक होकर चामुण्डराज काशी जा रहा था । ऐसे समय मा उसने मारबाके लोगन लूट लिया । इसे पह बहुत कुद् हुजी और पंछे लाट कर उसने चङ्गजको मात्र निको दण्ड देने आज्ञा दी ।। | इन दोनों घटनाका अमिय एक ही घटनाते हैं, परन्तु न तो जामुण्ट नहीके रामयने मुग रियति होती है और न इर्दभरातही समयमै : पॅकि मुअा हैान्त वि० रा. १०५१ और १०५४ के धीच हुआ या । पर चामुण्डराने ३• मं० १०५३ मे १९६६ ६ र (१) Ep. Tad., vi. 1, : १०१