पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१५१

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मारतके प्राचीन राज्ञवश उनकी गुणमाकता झिंए धन्यवाद देकर, उज्जयिनी और घाराका बर्णन किया है। दूसरे में अपने मन्त्री रमाइझे साथ सिन्युराज विन्ध्याचल पर चिंकाके लिए जाना, वहाँ पर सनेही जंजीर गलेमें धारण किये हुए हाँरेणको देखकर आश्चर्य्यपूर्व राजाका वसो बाण मारना और वापसहित हरिणका माम जामा लिँखा है। तीसरे गर्भ बहुत हूँढने पर भी उस हरिणका न मिना उसकी स्वोज फिरते हुए राजा चोचमें हर हिंए हुए एक हँसको देवना, उर हंसका उस दौर जाके पेपर गिरा देना, राजाका उसपर नागरान कन्या शशिप्रमाण नाम लिखा हुआ देखना, उस पर अशक होना और उसे ढूँढनेका इरादा करना, है । | चौथे औ? पाँच सगर्भ–कारक। खोजमें शिप्रभाफी सहेली पद्धिलाका गाना, राजाचे मिलना, इमऊना समझकर हार लेकर हंसका जड़ जाना आदि राजा कहना, उसे नर्मषा तटपर जानेकी सलाह देना और, इसी समय, उधर नर्मदा तटपर बैठी हुई शशिपमा पसि उस पायल रिणका गाना, शशिमभाका विपके शरीर तर पचना, इसपर नवसायाहू नाग पद्धका राजापर आसक्त होना धपत है। छठे सर्गम-शशिप्रमाझा नवसाहसहूि मिलनेकी युकैि सोचना है। सात सर्भ-ग्वादरहित राजाका नर्मदापर पहुँचना, शशिप्रममें मिलना और दोनों पारम्परिक मेम-प्रकटण घर्जित है। गाठ रान- इन लोगों के आपसमें बातें करते राग तूफाम।। आना, पाटलसित शशिमा उड़ाकर पाना भगबती नगरी ले जाना, गाको भाकाबाका । किन र न्या पिता मणको पूरा करेग उरके शाप इशा निगा रोग } गुनाई देना। ८ कारिस गलसे मेनीघात निवि नर्मदा प्रसन्नी, वह एक १८