पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१६

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जा पुम्पाय दी हुई नागानें ऐसा होता था तर पत्चुरी रानारं अपने सपने तो और भी परे बड़े राहिला कान होते होगे। परन्तु उनसरिता पूरा विदा मनिलम एवारी है। बलरला रायके साथ ही उनकी जाति भी सता रहा। अब वह कोई उनका नाम मय नही सुना जाना है। पिया के कुछ रोग बर मयदा, मयुक्तपत्त और बिहारमें पाये रते है 1 हनको मुन्शी मदन गोपात्म पदा का है किरतनपुर ( मध्यप्रदेश) में हेहपापियोका राय उन्ले त पुरा शिवामगे बला भातः था । पर यहाँ ५. स पनाया हवा मरोन रखनपुरले निकाल कि । जसरा औलादमें मापार सह इन समय टमी पिलमें . जागारदार हैं । यह रालपुर शिवनाम मेयपर माया पा। मगुरुपान्तम दलदी निछ बतियने दिया है। परन्तु के अनो सूरजम बताते हैं। ऐम ही कुछ हट्यपी बिहार मी नुने जाते हैं. निन् म उछ उनादारा परमार-वश। हैन्याशके बाद परमार बजका इनिहाय लिया गया है। भानमाल ( मारला) में पहले पहत इम (पार ) सका शाब कपडन कायम दुःथा । यह भासा पराभेश और देवरा का पे'न' मा । परमारिआ पर अधिकार करने पर दलिनीके पर रायो भन्से छानन म प्रया पर अपना सच कायम किया था । ___भापू मिलाले में परमारने पूल पुष्पका नाम धूमार दिया है। सरकार और मल के पार राजा भी नाका भोलाइ धे। इन ऊपर जिप च है के नमसनने भीनमाल ( मारवाड) में अपना राज्य मादा । चहीते लाई गानाओंने निकल पर जालार, मिशाना, कोकिराहपूमल, असा, पाना, मोर आदि गाम भरना राय माहम दिया 1 कुछ समय परमारका भयाकी - - - -- - - -- (१)सहीकए दर्शन, विन्द ।