पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१८४

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मायेके परमार । फन्तलदेशका परमी शायद कल्याणका पश्चिमी चाय राजा १६ ( पैमाढी-परम } हों । यह जगमल्ल भी लाता था। यईि जगदेवकों उद्यादित्यका पुत्र मान लें, जैसा कि भाटकी च्यात प्रकट होता है, तो पृथ्वीराज चौहान और चन्देरु परमदी लढाई तक उसका जीवित रहना अगम्भव हैं। क्योंकि यह लड़ाई उदयाविपके देहान्तके ८० वर्षसे भी समय बाद, वि० सं० १२३९ में, हुई श्री ।। पटत भवानहाल इन्द्रनीका अनुमान है कि जगदेव, राम जयसिंह की माता नियणदेवीके भतीजे, गोधाके कदम्बवंशी राजा अयके दूसरेका, सम्बन्धी था । सम्भव है, वहीं कुछ समय तक द्विराजके पास रहने के बाद, पेम (चौलुक्य राज्ञा पर्म) की सैनामें जा रहा है और पेमेडीकै सम्बन्धसे हैं। शायद परमार कहलाया है । । चालुक्य राजा पर्म (कादेमल्ल) के एझ सामन्तका नाम जगदेव था । वह चिमुचनमछ भी कहता था। वह गोवा कंदम्यवंशी बाजा जयकेशी दुसरे मौसका पुत्र था। माईसौर में उस जार थी। उसका मुथ निवासस्थान पट्टिप इच्पुर-बुध या हुँच-( अहमदनगर जिले } में था । उसका जन्म सन्तर चॅशमें हुआ था । यह वि० सं० १३.६ में विद्यमान था और पेर्मके उत्तराधिकारी ने तीसरेके समय तक शिविर था । प्रचन्य-चिन्तामणिका लैख भाट ख्यातोकी अपेक्षा १० मायानछाल इन्द्रजीके को अधिक पुष्ट करता है। | . ' १२-लक्ष्मव ।। | यह उदयादिश्य। श्येष्ठ पुत्र था । अय परमाके पिछले लै जर ताम्रपत्रों में इसका नाम ही है, तापि मरयम समपके नागपुर क्षेत्रमें इसका जिक्र है । यह ठेस श्मदे छोटे भाई १४