पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

भारतके प्राचीन राशचश विः सः १४५६ (६० स० १४३९) ॐ गुरिलोके लेपमें छा है कि मावेका राजा गोगादेव मणसिह धुम्रा हराया गया यो । (राते सिंकदमें लिखा है कि हिं० स० ९९ (i स० १३९=G० स १४५५)के हममग यह खबर मिली कि मापट्टा बन्दु-राजा मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है। यह सुनकर गुजरात बादशाह जफर ( गुजफ्फर, पहले ) ने मापदं पर चैड़ाई की। इस समय वहाँका राजा अपने मनबूत किले में जा घुसा। एक वर्ष मीर छ महिने वह फरखाँ द्वारा घिरा रहा । अन्तमें उसने मुसलमानों पर अत्याचार न करने और कर दने प्रतिज्ञा करके अपना पीछा छुड़ाया । जुफर वहाँसे अजमेर चा गया। तबकाते अकबरी भई परिक्षार्म माङ्क स्थान पर मोण्इलाळ लिया है। ज्ञरू सत्क पुर्यही भाळवे पर मृलमानों को अधिकार हो गया पो । इसलिए गिराते सिकन्दरीके लेख पर विश्वास नहीं किया जा सकता। राजपूताने के प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता श्रीमान् मुन्श देवप्रसादभन्न अनुमान है कि यह मपटू द मण्डोरकी जगह लिख दिया गया है । शमसुद्दीन अल्तमाके पीछे हि० सु० ६९० (३० स० १२९१=वैः स० १३४८) में जलालुद्दीन फानइह खिने उन पर इस्ले कर लिया। उसने अनेक मन्दिर तोड़ डाले। इसके दो वर्ष बाद, वि० - १३५० में, फिर उसने मालवे पर हमला *या और उसे लूटा, तथा उसके भतीजे अल्लाउद्दीनने मिलसाको फतह करके मालके पूर्वी हिस्से पर भी अधिकारि छर छिया। | मिति सिकन्दरी ज्ञात होता हैं कि हि० स० ७४४ (६० स० १३४४=वि० स० १४०१ ) के लगभग मुहम्मद् नालकनै भालचेका सा। इल# अनाज हिमाझे सुपुर्द किया। इस हिमारकों ने धाराका (1) Ibarangur Joxep 114 (7) Budoy' Gajrut p 13 १६८