पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२३८

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पाल-चैश। १६-रामपाल । यह वारपाल छोंटा भाई था । उसके पीछे राज्य मालिक हुन । यद्यपि इसके पूर्व दोनों सजाई समयमें पल-राज्य बहुत कुछ अवनति हो चुकी थी--ज्यिका चहुत सा भाग के हायमें जा चुका या-पापि रामपालने उसकी दश फिरसे सुधारीं । नेपालनं 'रामचरित' नामक एक संस्कृत-काव्य गिळा है । यह फाय रामपालकै सान्धविग्रहिक प्रजापति नन्दी पुन, सुन्ध्याकर नन्दी, ने लिहा या 1 इत काय्यके प्रत्येक के दो अर्थ होते है । एक अर्थ रघकुलतिलक रामचन्द्र और दूसरे से उक्त पाटबंशी राजा रामपाल चरितका ज्ञान होता है। उसमें लिखा है कि| * गद्दी पर बैठते ही रामपालने कैयर्त राजा भीमविक पर चढ़ाई नेहा विचार किया ।मपाल, मामा राठौर मथन ( महन ) पालराज्यमें एक बड़े पद पर था । उसके दो पुत्र महामण्डलेशर ( नई सामन्त ) और एक मतींनी शिवराज महमतीहार था । वद् रामपालका घड़ा ही विश्वासपात्र था। पहले वीरेन्द्र में जाकर उसने शबुझी गतिविधिका ज्ञान प्राप्त किंम। । फिर चडाईका प्रबन्ध होने लगा | पालराज्प सब सामन्त बुलवाये गये । कुछ ही समयमं वहाँ पर दृष्टभुको राजा आकर उपस्थित हु । बुण्डमृति उसे रियासतका नाम रहा होगा जिसका मुख्य स्थान दण्डपुर होगा और जिसे आजकड़ बिहार कहते हैं । इसी दण्डभुके राजाने उकलके राजा कर्णको दृया था । मगध ( मगध एक हिस्से) का सगा कन्नौज सदा मगझr भी आया । इसने मा। या । पीठिका राजा वीरण भी आ गया। इसको दक्षिणका राजा लिया है। देदमामका राजा विक्रम, आटविक ( जङ्गलसे मरे हुए ) प्रदेश और मन्दारे-पर्यनका स्वामी हमीर, लैला