पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२५८

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सन-संश। अपने पिताकी मृत्यु समय राय लवमनिया ( लक्ष्मणसेन ) मलिाके -गर्भमें थी । अतएव उस समय राजमुकुट उसकी मौके पेट पर क्या -मया । उसके जन्म-समय ज्योतिषियोंने कहा कि यदि इस समय बीलंक: •का जन्म हुआ तो वह राज्य न कर सकेंगा । परन्तु यदि दो घण्टे बाद जन्म होगी तो बह ८: चर्म रज्यि करेगा । यह सुनकर उराफी गॉने | आज्ञा दी कि जब तई वह शुभ समय न आये तब तक मुझे सिर नीचे | और पैर ऊपर करके लटका दौ । इस आशाका पालन freया गया और ‘जब वह समय आया तब उसे दासियांने फिर ठीक तौर पर सुला दिया, 'जिससे उस समय लपमानैयाका जन्म हुआ । परन्तु इस कारणसे उत्पन्न हुई मरावपान उसकी माताको मृत्यु हो गई । जन्मते हैं। रुख.माँनया रायसिंहासन पर बिठला दिया गया । उसने ८ बर्ष राज्य झियो । हुम बल्लालसेनके वृत्तान्तमें लिख चुके हैं कि जिस समय चल्लालसेन मिथिला-विग्यो गया था उस समय पीछे से उसके मरनेकी झूठों रबर कृढ़ गई थी । उसके आधार पर तबकाते गामि दत्ताने मणके • जन्मकै पर्ने ही उसके पिताको मरना लिख दिया होंगा । परन्तु वास्त में लक्ष्मण-सेन जच ५९ वयंका हुआ तब उसके पिताझा देहान्त होना "इस जसा है। , आगे चल कर उक्त तारीखमें यह भी लिखा है-- | राय लल्लमांनैयाकी राजधानी दिया थी । वह चा राजा या । उसने ८० यर्ष सफ राज्य किया 1 हिन्दुस्तान मच उसके पैश। श्रेष्ठ समझते चे और वह उनमें स्वलीफ़के समान माना जाता था । जिस समय मुहम्मई चरितार मिलनी द्वारा विज्ञह ( मगचके पाद्धचैी राज्य ) विजयं की सघर लमणसेनके राज्य के उस समय राज्यके महुरा से ज्योतिपिप, विद्वाना र मन्त्रिनै राजासे