पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२८६

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चौहान-धंदा । किसा होता है। जनरल कनिंगहामको अनुमान है कि शायद ये सिक्के अजयपाल नामक आँवरवंशी राजा हो । ऊपदेवी रानीका नाम इनरुदेवी था । इसको सोमलेसा मी झहले ये । पृथ्वीराजविजयमें लिखा है कि इसको सि ढुवानैका बड़ा शौक या । चौहान के अर्थनके देशसे इसॐ भी चौंवी और तबके सिर मिन्नते हैं इन पर उडी तरफ 'श्रीसगढ़दैवि या* श्रीसमहूदेव 'लिसा होता है । और सी तरफ गाँधेये 'सिझोंपके गधेकै उरके अमर गद्धा हु राजाका चेहरा बना होता है। किसी किसी पर इसकी जगह अचारका आकार बना रहता है । जनरल झनिंगहाम सबने इनपर लेजो * सौमदेव' पद्धकर इनको किसी अन्य नाके सिके समझ लिये थे । परन्तु इण्डियन म्यूजियमके सिझी कैटग ( सुची ) में उन्होंने जो उक्त सि चिन दिये हैं उनमसे दो सिकॉमें सोचलचिं पढ़ा जाता है। | परन साह्य इन सिक्कको दक्षिण कोशल ( रत्नपुर ) के रूप ( कचरा ) राजा ज्ञानदेवकी के अनुमान करते हैं, पर्यो। उसका नाम भी सौगलदेवी य । परन्तु ये #ि पह पर ना मिलते हैं। इनके मिलनको स्यान अजमेर के आसपासका प्रदेश है । अतः रापसन महाफा अनुमान ठीक प्रतीत नहीं होता। इसका समम वि० सं० ११६५ ( ६० स० ११०८ } ॐ असे पास हो । २५ अपराज ।। ये अजयराजका पुत्र और उत्तराधिकारी या। इसको इलाक, मानदेय और अनाज म कहने थे। इसके तीन रानियाँ थी । पाली मारवाडी मुना, दुसरी मुजरातके सोलंकी राजा (१) , , ] YI 10-1 (३), I A 5, 4, D 1000, F 12