पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३०१

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भारतके प्रचिन राजबंश हम्मीर-महाकास्यमें लिखा है कि शहाबुद्दीनने अपनी पराजय¥T बदला लेनेके हिंसे पृमीराज पर सात वर चढाई की और साप्त नार उसे हारना पड़ा । इस पर उसने घटेक (१ } देशके राजाको अपनी तरफ मिलाया और इसकी सहायताले अचान विड़ीपर हमला कर अधिक्कार कर लिया । जब यह बथर पृथ्वीराजको मिती तन पहले अनेक चार हरानेके कारण उसने इसी विशेष परवाह न फी और गरी थोड़ी सेना लेकर ही उसपर चट्टाई कर दी । यद्यपि पृथ्āरानके साथ इस उमय थोडीसी सेना पी, तथापि सुटतान, जो किं अनेक बार इसकी वीरताका लोहा मान चुका था, घबरा गया और उसने रातके समय ही वहुतसा धन देकर पृवराजकै 'फौजी अस्तबल दारोगा और बातेंवादको अपनी तरफ मिला लिया । जव प्रातःकाल हुआ तव न सरफसे घमासान युद्ध प्रारम्म हुआ । परन्तु विधान ती दरोगा पृथ्वीराज सादे लिये माझ्यारम्भ होड़ा ले आया। यह घोही रणभेरीकी आवाज़ सुनते ही नाचने लगी । इस पर पृी'राजका लक्ष भी उसकी तरफ जागा I-इतनेहीमें शत्रुने मौका पार उसे घेर लिया । यह हालत देख पृथ्वीराज उस घोड़े पर झूद पट्टा और तळूवार लेझा दाजुपर झपटा । इस अवस्थामें भी अकेला यह महत देर तक मुसलमानोंसे लड़ता रहा। परन्तु अन्तमें एक यन सैनिकने पीछे से yा गल्ले में धनुष ट्टाकर उसे गिरा दिया । वस इफका गिरना या * दूसरे यवन ने इसे चंद्रपट घोंघ लिया । इम प्रकार बंद हो जानेपर पृथ्वीराजने जयमानेत । जनसे मरना ही अच्छा समइया और गाना ना छोड़ दिया। इस अवसर पर ड्रयाग भी आ पहुँचा । इस पृथ्वीरानने पहले ही सुनानके अधीन देशर एमला करनेको मेना या । उदयराज असे ही बादशाह श्रङ्कर | नगरमें घुस गया । उदयराग अपने स्वामी पृथ्वीराज के इस प्रकार