पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३१०

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• मारतकै प्राचीन राजवंश

  • पृथ्वीराज रिश्तेदार हेमराज ( हरिराज ) ने जब पृथ्वीरान कुछ कोलाकी अजमेर से निकाल दिया तब उसकी मदद कुतशुद्दीन ऐबक हि १९१ (६० १० ११९४-वि० सं० १२११ ) में दिल्लीसे च।। हैमरजन उसका सामना किया । परन्तु इन्समें वह मारा गया और अजमेरपर कृतयुद्दीनने मुसलमान हाझिम नियत कर दिया ।।

फरिईताने चरका नाम जहतम लिग है ।। हम्मीर महामन्यमें लिखा है-- ५, १वीरानके वाद हुने अजमेरका अधिकार हुमा । उसने गुजरात के नाक भेजी हुई सुदुर वैश्याओंके फदेमं पढ़कर राज्यद्धार्म । तरफ केयान देना छोड़ दिया । इससे राज्यमें गड़बड़ मच गई । यह माका ३ पहलेवाला सुलतान दिल्ली। अजमेर पर चड़ भाया । इसपर हरिरांज अपने अन्त,पुरी स्त्रियों सहित जल भरा । । उपर्युक्त ले पर विचार करने] विदित होता है कि यद्यपि शहापुदीनने पृथ्वीराजके पीछे उमके यालक पुगको अजमेरफा अधिकारी निघः किया था, तथापि उसके चले जाने पर उसके चुना हरिरागने उससे राज्य चैन लिया। इस पर वह रणथभोरमें जा रहा, परन्तु जई हरिजन उसे वस मी निकालने के इरादे से रणधभौर पर चढाई ही तचे शाही फोनने आकर उसकी सहायता की और हरिराजको वापस लौटना पड़ा। वि० स० १२५० या १२५१ के ज्येष्ठ पा, थाई मास असपास हुन्निका ३हान्त हुआ । इस समयले अजमेर चौहान के अधिकरते निकलकर मुसलमान के अधिकारमें चला गया । | (१) nrega facilitar २६१