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भारतके प्राचीन राजवंश ।


१. क्षत्रप-वंश।


क्षत्रप-शब्द। यद्यपि 'क्षत्रप' शब्द संस्कृतका सा प्रतीत होता है, और इसका अर्थ भी क्षत्रियोंकी रक्षा करनेवाला हो सकता है। तथापि असल में यह पुराने ईरानी ( Persian) 'क्षत्रपावन' शब्दका संस्कृतरूप है। इसका अर्थ पृथ्वीका रक्षक है। इस शब्दके 'खतप' (खत्त्प), छत्रप और छत्रव आदि प्राकृत-रूप भी मिलते हैं।

संस्कृत-साहित्य में इस शब्दका प्रयोग कहीं नहीं मिलता। केवल पहले पहल यह बाद भारत पर राज्य करनेवाली एक विशेष जाति राजाओंके सिक्कों और ईसाके पूर्वकी दूसरी शताब्दीके लेखों में पाया जाता है।

ईरानमें इस शब्दका प्रयोग जिस प्रकार सम्राट्के सूबेदारक विषयमें किया जाता था, भारतमें भी उसी प्रकार इसका प्रयोग होता था। केवल विशेषता यह थी कि यहॉ पर इसके साथ महस्य-सूचक 'महा' शब्द भी जोड दिया जाता था। भारतमें एक ही समय और.एक ही स्थानके क्षत्रप और महाक्षत्रप उपाधिकारी

भिन्न भिन्न नामोंके सिक्के मिलते हैं। इससे अनुमान होता है कि स्वाधीन शासकको महाक्षत्रप और "उसके उत्तराधिकारी युवराज-को क्षत्रप कहते थे। यह उत्तराधिकारी अन्तमें स्वयं महाक्षत्रप हो जाता था।