पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/८४

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यचेश। के लेसमें इस तरह दी है-इममुह यममें, रुद्रशभु नामक तपरती रहता था। उसका शिष्य मत्तमयुनाय, अञ्चन्ती राजाके नगर में जा रहा । उसके पीछे क्रमश: धर्मशशु, सदाशिव मामय, यूशिव, हृदयशिव और अघोरशिव हुए। | पहारीकै छेसमें लिखा है कि, वह अपनी और अपने सार्मतोकी सेना सहित, पश्चिमी विजयधीनामें, शत्रुको जीतता हुआ समुद्र तट पर पहुँची । वहाँ पर उसने समुद्रमें स्नान सुवर्णकै कमलों सोश्वर ( मनाय सौराष्ट्र दक्षिणी समुद्र तटपर) का पूजन किया, और कोलके राजाको जीत, ओड़के राजा से ही हुई, नत सुय की बनी कालिय (नाम) की मुति, हाथी, घोडे, अच् पोशाक, माला गार चन्दन आदि सगेवर { सोमनाथ ) के अर्पण थे । | इसकी रानी का नाम राहा था। तया इसकी पुनीं मेंथा देवीका विवाह, दक्षिणके चालुक्य ( पाश्चम ) राजा विक्मादित्य चोथैसे हु था, निराके पुन तेलपने, राठोड राजा अक्कल ( क दुसरे ) से राज्य छन, वि स ६ १०३० से १८५४ तक राज्य किया था, और मालवीके राजा मज ( चापानराज़ ) ( भनके पिता सिके बड़े | माई ) ने मारा था। इमाने बिल्ड्रामें मसागर नाक चा - तालाब बनवाया। सच भी वहाँकै एक सहरको लोग रोजा लक्ष्मणके महुल बताते हैं । इमके दो पुत्र शकरगण और युवराजदेव हुए, जो कमरा गईं। पर है। | ६-कगण ।। यह अपने पिता लक्ष्मणका ज्वा पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसका ऐतिहासिक वृत्तान्त अग तक नहीं मिली । इसके छे इसका छोटा भाई सबरजिवेब ( दूसरा ) गद्दी पर बड़ा । ()) Ep Ind Vol. 1 1 29773) Ep Tad, Vol II-60 | (१)] A B F०] 1 1 115 ४३