पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३९६

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सैंतालीसवाँ अध्याय दिल्ली, और बीच की घटनाएँ पंजाब किन्तु सन् ५७ की महान क्रान्ति की योजना करने वालों के लक्ष्य की प्टि से समस्त महायुद्ध का मर्मस्थान दिल्ली महत्व का उस समय दिल्ली था 1 सम्राट बहादुरशाह के नाम पर क्रान्ति प्रारम्भ हुई थी । सम्राट बहादुरशाह ही क्रान्ति कारियों की आशाओं का मुख्य केन्द्र था और बहुत दूर तक दिल्ली ! की सफलता पर भारत की स्वाधीनता निर्भर थी। इसीलिए भारत के भर के अंगरेज और क्रान्तिकारियों दोनों की नजरें दिल्ली पर लगी। हुई थीं । समस्त भारत से सेनाएँ दिल्ली में आ आकर जमा हो रही थीं और स्थान स्थान से कम्पनी के खजाने ना लाकर सम्राट वहादुरशाह के कदमों पर रख देती थीं । इसी प्रकार अंगरेजों ने भी दिल्ली को फिर से विजय करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लग