पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४७५
दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पतव और वीव की घटनाएँ १४७५ उनम स १३ या १४ को इसलिए फाँसी पर लटका दिया गया ताकि दूसरों को सबक़ मिले 16 बार के बाहर तोप लगा दी गई। फिर उनमें से किसी को भी बाहर निकलने का साहस हो न सका। फिर भी बाद में इनमें से अनेक को फाँसी दी गई औौर अनक का तोप के मुंह से बाध कर उड़ा दिया गया । पेशावर के निकट होती मरदान में ५५ नम्बर पैदल पलटन थी। इस पलटन के कनरल स्पॉटिश गुड को करनल स्पॉटिश पूरा विश्वास था कि मेरी पतटस विद्रोह में बुड की नाश्महत्या करेगी। पशव के अन्य अंगरेज़ों ने ग्राग्रह किया कि इस प्रकार से भी हथियार रखा लिए जायें । करनल ने इसका विरोध किया । पश्ताव सरकार ने हथियार रखा लेने के पक्ष में फैसला दिया । इस पर कहा जाता है कि करनत स्पॉटिश बुड ने अपने कमरे में जाकर आत्महत्या कर ली । पेशावर से गोरी सेना और तोपें इस पतन से हथियार रखा हने के लिए भेजी गई। ५५ नम्बर के कुछ होती मरदान की सिपाहियों ने यह समाचार पाते ही होती सरदान के किले से निकल कर भागना चाहा, हैं किन्तु कम्पनी की सेना ने, जो उनके संख्या में अधिक थी और जिसके पास भारी तोप थीं, उन्हें घेर लिया। १५० को उसी स्थान पर मार डाला गया, कुछ भाग निकले और शेष गिरफ्तार कर लिए गए। लिखा है कि “५५ नम्बर पलटन के कैदियों के साथ सन का नशा • Nawwatuz f Aharat Radel, p. 36.