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भारत में अंगरेज़ी राज

१४८६ भारत में अंगरेज़ी रा बहुत सा सामान महाराजा नाभा की ओर से इन लोगों के पास पहुंचा। इसके बाद यह विशाल संयुक्त सेना दिल्ली के निकट में अलोपुर तक पहुँच गई । दिल्ली की सेना फिर एक बार इस सेना के मुकाबले के लिए निकली । बुन्देले की सराय के निकट ८ जून बुन्देले को सराय सन् १८७ को सुबह से शाम तक एक भीषण का भीषण संग्राम हुआ । क्रान्तिकारी सेना का सेनापति उस समय सम्राट बहादुरशाह का एक पुत्र मिरज़ा मुग़त था, जिसने शायद जीवन में कभी भी लड़ाई का मैदान में देखा था। दूसरी ओर योग्य से योग्य सेनापतिऔर सिखों और गोरखों की सहायता 1 सयाल तक दिल्ली की सेना को फिर नगर के अन्दर लौट आना पड़ा। उनकी कई तोपें शत्रु के हाथ श्रा गई और कम्पनी की सेना दिल्ली की दीवार के नीचे पहुँच संग्राम गई । दिल्ली नगर क अन्दर उस समय पक विचित्र उत्साह था। ’ : प्रान्त प्रान्त से पलटने र ख़ज़ाना नाकर दिल्ली के दिल्ली में जमा हो रहा था । स्थान स्थान से भीतर अदम्य ग्य सम्राट बहादुरशाह के नाम वफ़ादारी के पत्र उत्साह आ रहे थे । नगर के अन्दर वालाद बनाम और अस्त्र शरन ढालने के लिए अनेक कारख़ाने खुल गए थे, जिनमें अनेक तोपे रोज़ाना ढतती थीं और हजारों मन बारूद तैयार होती थी . सम्राट बहादुरशाह का एक खादिम ज़हीर अपनी पुस्तक