पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/८०

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पहला अफ़ग़ान युद्ध

पहला अफगान युद्ध ११७५ मालूम होता है, मुन्शी मोहनलाल काफ़ी चालाक था । वह यह चाहता था कि अंगरेज़ पलची मैकनॉटन के काम से भी यह चात स्पष्ट करा लो जाय। अंगरेज़ एतची के नाम उसने एक पत्र में लिखा – लेप्टेमेण्ट कोनोवी के पत्र से मैं यह नहीं सम सका कि विद्रोहियों को किस तरह करत। किया जाय, किन्तु जिन लोगों को मैंने अब इस काम के लिए नियुक्त किया है वे वादा करते हैं कि वे इन लोगों के घरों में जाकर ऐसे मौकों पर, जब वे अकेले हों, उनके सिर काट डालेंगे ।" लिखा है कि संघ से पहले सरदार अब्दुल्ला खाँ और मीर मसजिद जो को इन गुप्त हत्यारों की कटारों का शिकार बनाया गया 1 केवल इतना ही नहीं, वरन् इन दो वर्ष में अंगरेज़ राजदूतों और ,अंगरेज़ अफ़सरों की वृणित पाशविक अंगरेजों ने की श्रेणित ऋलियों अफ़गान भले घरों के अन्दर त्राहि पाशविक वृत्तियाँ त्राहि मचा दी। अंगरेज इतिहास लेखक सर जॉन के लिखता है “हमारे अंगरेज़ आफ़सर उन प्रलोभनों को भी न जीत सके, जिनका जीतना कि सबसे अधिक कठिन है । कांडल की छियों के प्राकर्षों का वे मुक़ाबला न कर सके 1 प्रफ़गानों को अपनी औरों की इस का धड़ा जबरदस्त ख़या रहता है, और काबुल के अन्दर इस तरह की कारवाइयों "l promise te thousand rupees for the lhead ot oach ot the principal weber chiefs."-Kaye's matory of tic Afghair Varwol. i, . , p, 20