पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१०

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पच्चीसवाँ अध्याय जसवन्तराव होलकर अंगरेज़ों के वादों का मूल्य-जसवन्तराव को भुलावा-जसवन्तराव की दूरदर्शिता-जसवन्त राव की माँगें-जसवन्त राव से युद्ध का निश्चय- जसवन्त राव से पत्र व्यवहार-जसवन्त राव से युद्ध की योजना-सींधिया के साथ सन्धि का उल्लंघन-सींधिया को भुलावा-जसवन्तराव के साथ युद्ध का प्रारम्भ-अंगरेज़ी सेना की असफलता-बुन्देलखण्ड में अंगरेज़ों की हार-जसवन्तराव पर हमले का वृहत प्रायोजन-अंगरेज़ों की टोंक विजय-होलकर पर दुतरका हमला-मानसन की पराजय-मानसन की सेना की दुर्गति-अंगरेज़ों की जिन्नत-भरतपुर का राजा-दोआब में कम्पनी के अत्याचार-मथुरा में गोहत्या-जसवन्तराव का मथुरा पर कब्ज़ा- करनल मरे का मालवा पर कब्ज़ा-वैलेस को दक्खिन में सफलता-दिल्ली और सहारनपुर में होलकर को असफलता। पृष्ठ ७११-७६४ छब्बीसवाँ अध्याय भरतपुर का मोहासरा होलकर का पीछा-डीग के बाहर का संग्राम-भरतपुर मे अंगरेज़ों की धांधली-डीग के किले पर अंगरेज़ों का कब्जा-भरतपुर का मोहासरा -अंगरेज़ी सेना की पहली पराजय-दूसरी पराजय-तीसरी बार असफलता-असफलता के कारण-वेल्सली की घबराहट- रणजीत सिंह को प्रलोभन-अमीरखाँ और उसके आदमियों को रिशवतें-अमीर ख़ाँ