पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/११६

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करनाटक की नवाबी का अन्त

करवाटक की नवाबी का अन्त है और अन्त में सावित किया है कि करनाटक के नवाबों के विरुद्ध यह तमाम इलजाम भूठा था। ___ जब तक नवाब उमदतुल उमरा जिन्दा रहा, वेल्सली ने कभी उसके सामने इस 'गुप्त पत्र व्यवहार' के किस्से को पेश किया और न उसे इसकी कोई खबर तक होने दी। चुपचाप वह उमदतुल उमरा के मरने का इन्तजार करता रहा। जुलाई सन् १८०१ के शुरू में खबर मिली कि मवाव करनाटक की मृत्यु होने वाली है। बूढ़ा नवाब उस समय नवाब को मृत्यु चिौक के महल में था। ५ जुलाई सन् १८०१ और अंगरेजों का ___ को करनल मैकनील कम्पनी की सेना सहित महल की ओर बढ़ा, और यह कह कर कि नवाव की मृत्यु के बाद लडाई झगड़े का डर है और अमन कायम रखने की जरूरत है, उसने चारों ओर से महल को घेर लिया। यह वही सेना थी जो नवाब के खर्च पर नवाब के इलाके में रक्खी गई थी। जिस समय इस सेना ने महल के भीतर घुमना चाहा और मृत्यु शय्या पर पड़े हुए नवाब के कानों तक खबर पहुँची, तो नवाव चौंक पड़ा और पास के एक अंगरेज अफसर से गिड़गिड़ा कर सुअवसर frivolous, even if considered as true, that but for the strong bias towards any conclusion affording a pretext for assuming the administration of the Carnatic which we know from his previous endeavours in that direction actuated Lord wellesley we should be surprised that he did not throw the whole mass of gossip and guess-work into his waste paper basket "-The Empure of India by Mayor Evans Bell, pp 107, 108 • Mills History of British Indra, vol vi, pp 217-244 ३४