पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१२

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संगठन-अमीर खाँ का बरार पर हमला-बुन्देलखण्ड और त्रिवाणकर- अंगरेजों की परराष्ट्र नीति-भनगानिस्तान के बिल्ट साज़िश-शिवा सुक्षी के झगड़े-ईरान के साथ कूटनीति-शाहशुजा को भड़काना- जमानशाह पर आपत्ति-फ्रान्स और रूस का भय-लार्ड मिण्टो और ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और सिन्ध-अमीरों के साथ सन्धि-अमीरों के साथ दूसरी सन्धि-रणजीतसिंह की अदूरदर्शिता-सिख रियासतों के साथ सन्धियाँ-अमृतसर में हिन्दू मुसलमानों का झगड़ा-डच और फ्रान्सीसी टापुओं पर कब्ज़ा-गोरे सिपाहियों की बग़ावत । पृष्ठ ८२२-८७५ उनतीसवाँ अध्याय भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश भारत का प्राचीन व्यापार-इंगलिस्तान और भारत के माल की तुलना-बंगाल की लूट- सन् १८१३ का चारटर एक्ट-व्यापार सम्बन्धी अत्याचार-सन् १७६३ का कानून-रेशम के कारीगरों के साथ अत्याचार- जुलाहों पर अनसुने अत्याचार-जुलाहों का अपने अंगूठे काटना-बच्चे बेचकर लगान अदा करना-इन अत्याचारों पर हरबर्ट स्पेन्सर-सन् १८१३ की नई व्यापारिक नीति-भारतीय उद्योग धन्धों के नाश का उपाय-अंगरेज़ी माल पर महसूल मान-भारतीय माल पर निषेधकारी महसूल-भारत की असहायता-नई चुंगी-तलाशी की चौकियाँ-बे हिसाब चुंगी-अंगरेज़ व्यापारियों को सहायता-भारतीय कारीगरी के रहस्यों का पता लगाना-रेनें-भारतवासियों में शराब का प्रचार-