पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१३६

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फाँसने के प्रयत्न इसी पत्र में वेल्सली ने कोलबुक को लिखा कि तुम्हें जिस बात की ओर लक्ष्य रखना चाहिए वह यह है कि बरार के राजा, मिज़ाम और कम्पनी तीनों के बीच सींधिया और टीपू के विरुद्ध एक इस तरह की सन्धि हो जावे कि जिसमें बाजीराव पेशवा भी जब चाहे शामिल हो सके। किन्तु इसी पत्र में वेल्सली ने यह भी लिखा- " x x x बरार के राजा अथवा पेशवा अथवा निज़ाम से सींधिया के विरुद्ध एक ऐसी सन्धि का प्रस्ताव करना जिसमें सौंधिया का नाम आता हो, बुद्धिमत्ता नहीं है । इस विषय में पहले बरार के राजा के भाव जानने के लिए जो कुछ आप शुरू में कार्रवाई करें यह भी बहुत सावधानी से करनी चाहिए। हमें दिखलाना चाहिए कि हमें डर टीपू सुलतान से है; और यद्यपि सन्धि में श्राम तौर पर 'सन्धि करने वाली शक्तियों का कोई और शत्रु' ये शब्द ले पाने चाहिए, तथापि अभी कोई ऐसी बात सुमानी तक नहीं चाहिए, जिससे सींधिया का नाम सामने आ सके x x x। ___"इस लिए राजा के सामने आपको एक ऐसी सन्धि पेश करनी चाहिए जिसका वर्तमान और प्रकट उद्देश केवल टीपू सुलतान के हमला करने की सूरत में कम्पनी और राजा के परस्पर सहायता के वादे को स्पष्ट और मज़बूत कर लेना हो, किन्तु सन्धि के शब्द ऐसे रक्खे जायँ कि यदि हस्ताक्षर होने से पहले प्रावश्यकता पड़ जाय तो सौंधिया का नाम बीच में जोड़ा जा सके।"* . . it is not prudent to propose to the Raja ot Berar, or even to the Peshwa or to Nizam, a treaty of defence Rominally against