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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१३८

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५५१
पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फांसने के प्रयत्न ५५१ के रेजिडेण्ट कप्तान कपैट्रिक को लिखा, जिसके साथ उसने पामर तथा कोलबुक दोनों के नाम के अपने पत्रों की नकले नत्थी कर दी। __ कोलबुक को नागपुर भेजने का जिक्र करते हुए वेल्सली ने कर्कपैट्रिक को लिखा- "अच्छा यह होगा कि सर के राजा और कम्पनी के बीच यह सम्बन्ध हैदराबाद दरवार को बीच में लेकर पक्का किया जाय; और अन्त में शायद सींधिया और टीपू दोनों के विरुद्ध एक परस्पर सहायता को सन्धि कर ली जाय x x x जब तक मैसूर युद्ध समाप्त न हो तब तक सींधिया के साथ लड़ाई छेड़ना ठीक नहीं।" वास्तव में निज़ाम पूरी तरह कम्पनी के हाथों में था। कम्पनी की सेनाओं का प्रधान सेनापति सर एल्यूरेड दौलतराव की . क्लॉर्क इस समय कलकत्ते में था। = मार्च सन् सरहद पर अंगरेजी नेताका १७६६ को मद्रास से वेल्सली ने सर एल्यरेड क्लॉर्क के नाम एक "प्राइवेट और गुप्त” पत्र लिखा जिसके कुछ वाक्य इस प्रकार हैं- "मैंने जितने प्राइवेट पत्र प्रापको लिखे हैं उन सब में x x x मैंने बराबर यह इच्छा प्रकट की है कि (सींधिया को ) उस मोर की सरहद पर नासी सेना रक्खी जाय, ताकि यदि दौलतराव कभी कोई चाल चले तो उसे रोका जा सके। "मेरी इच्छा यह है कि भाप क्रौरन फिर से अवध में इतनी सेना जमा