पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१३९

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भारत में अंगरेज़ी राज

५५२ भारत में अंगरेजी राज कर में जितनी x x x यदि सींधिया हिन्दोस्तान लौट पाए तो उसकी सारी सेना के मुकाबले के लिए काफी हो । प्राप इसका भी ध्यान रखें कि बहुत सम्भव है हमें स्वयं जल्दी ही सींधिया के राज्य पर हमला करना पड़े। "बहुत मुमकिन है कि इस सेना के जमा होने से अम्बाजी और सींधिया को सन्देह हो जाय और वे पाप से इस कार्रवाई का कारण पूछे । यदि ऐसा हो तो आप उनसे कह दीजियेगा कि वज़ीरभली बनारस से भाग गया है, डर है कि वह जमानशाह से मिल जाने का प्रयन न कर रहा हो, इस लिए उस आपत्ति का मुकाबला करने के लिए यह सब किया जा रहा है।" और आगे चलकर- "यदि लड़ाई शुरू होने लगेxxxसो प्राप राजपूतों को और सींधिया के दूसरे सामन्तों को उसके विरुद्ध भएकाने त' की हर तरह कोशिश कीजियेगा और जयनगर और को फोड़ने के जोधपुर के राजाओं को इस बात के लिए राजी कर लीजियेगा कि वे पूरे दिल के साथ इस युद्ध में भाग लें। साथ ही बाइयों ( माधोजी सींधिया की विधवा रानियों) और लकवाजी दादा के पक्षवालों को तथा सींधिया कुल के उन लोगों और नौकरों को, जो दौलतराव के शासन से बैर रखते हों-इन सब को भड़काने और उनके प्रयत्नों में स्वयं सहायता देने के उचित उपाय कीजियेगा।" अन्त में- "मुझे यह नीति बिलकुल ठोक मालूम होती है कि ज्योंही हमें अपने मतलब का मौका दिखाई दे, हम तुरन्त सींधिया के बल को नष्ट कर डालें, किन्तु जब तक सींधिया दक्षिण में है, और हमारी सेनाएँ टीपू सुलतान से प्रयत