पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१५४

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भारत में अंगरेज़ी राज

५६६ भारत में अंगरेजी राज चाल इस समय यह थी कि दौलतराव के विरुद्ध बाजीराव के खूब कान भरे जायें और किसी प्रकार बाजीराव को पूना से भगा कर एक बार अंगरेज़ी इलाके में लाया जाय और वहाँ पर उससे सबसीडीयरी सन्धि पर दस्तखत करा लिए जायें । श्रीरङ्गपट्टन के पतन के बाद टीपू के एक सरदार मलिक जहान खाँ ने, जिसका दूसरा नाम धुंडाजी बाघ या धूंडिया वाघ भी था, कुछ सेना जमा करके मैसूर के इलाके में इधर उधर घूम कर अंगरेजों को दिक़ करना शुरू कर दिया था। करनल वेल्सली के अधीन एक काफ़ी बड़ी सेना मलिक जहान खाँ को दमन करने के लिए भेजी गई । किन्तु बाद में मालूम हुआ कि इस सेना को भेजने का गुप्त उद्देश कुछ और भी था। मैसूर की सरहद बराबर मराठों की सरहद से मिली हुई थी। गवरनर जनरल वेल्सली ने मित्रता के नाते पेशवा के साथ पेशवा बाजीराव से प्रार्थना की कि इस सेना ___ को, जो धुंडिया के नाश के लिए निकली थी, जहाँ जहाँ ज़रूरत हो पेशवा राज्य से होकर आने जाने की इजाजत दे दी जाय । बाजीराव ने सब से पहली गलती यह की कि इतने महत्वपूर्ण मामले में बिना दौलतराव सींधिया से सलाह किए वेल्सली की प्रार्थना स्वीकार कर ली। करनल वेल्सली ने अब सैनिक आवश्यकता के बहाने नीचे से पेशवा के राज्य में घुसकर अनेक मारकं के स्थानों पर चुपके से फब्ज़ा कर लिया। धीरे धीरे साबित हो गया कि इस सेना का गुप्त उद्देश पूना पर अचानक छल