पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१५५

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फांसने के प्रयत्न ५६७ चढ़ाई करके ठीक उसी प्रकार पेशवा दरवार को फाँसना था, जिस प्रकार कुछ वर्ष पहले मद्रास से एक सेना हैदराबाद भेजकर निज़ाम को फाँसा गया था। वेल्सली इस समय तक कलकत्ते लौट आया था। वहाँ से २३ अगस्त सन् १८०० को उसने मद्रास के गवरनर लॉर्ड क्लाइव के नाम, जो प्रसिद्ध क्लाइव का पुत्र था, एक पत्र में लिखा :- "xxx सम्भव है कि करनल वेल्सली की अधिकांश सेना, निजाम की सेना और बम्बई से एक सेना को मिलकर हाल में पूना पर चढ़ाई करनी पड़े। इसलिए करनल वेल्सली इस बीच जहाँ कहीं भाए जाए सदा इस सम्भावना को अपनी नज़र के सामने रक्खे। "xxx उचित यह है कि करनल वेल्सली मराठा इलाके पर अपना कब्जा बनाए रक्खे, x x x नीचे लिखी दोनों बातों में से कोई सी एक हो सकती है-पहली यह कि बाजीराव पूना छोड़ कर भाग आए और दूसरी यह कि दौलतराव सींधिया बाजीराव को रोके रक्खे । इन दोनों सूरतों में, यदि करनल वेल्सली ने अभी से मराठा सरहद के अन्दर अपने आपको पक्की तरह जमाए रक्खा, तो उसे पूना पर चढ़ाई करने में आसानी होगी।xxx "इसलिए आप फ़ौरन करनल वेल्सलो को सूचना दे दें कि अंगरेजी सेना को भाज्ञा दी जाती है और अधिकार दिया जाता है कि ज्योंही उसे बाजीराव के भाग पाने या द कर लिए जाने की पक्की खबर मिल जाय फ़ौरन xxxअंगरेजी सेना पेशवा का नाम लेकर और पेशवा की ओर से कृष्णा नदी के किनारे तक सारे देश पर कब्ज़ा कर ले । इस सीमा के अन्दर