५८२ भारत में अंगरेज़ी राज रेज़िडेण्ट क्लोज़ विजयी होलकर के साथ पूना में रहा । राघोबा के दो पुत्र थे, जिनमें बड़ा बाजीराव था। इन दोनों के अतिरिक राघोबा मे एक तीसरे बालक अमृतराव को गोद ले रक्खा था । जसन्तराव होलकर को जब बाजीराव के साथ सुलह करने में सफलता न मिल सकी तो मजबूर होकर उसने और उसके सलाहकारों ने बाजीराव के पूना से भाग जाने का अर्थ पदत्याग लिया और उसकी जगह अमृतराव को पेशवा के मनसद पर बैठा दिया । निस्सन्देह यह कार्य रेज़िडेण्ट क्लोज़ की मौजूदगी में और उसकी राय से किया गया। दूसरी ओर बसई में अंगरेजों ने बाजीराव से यह वादा किया कि तुम्हें फिर से पूना ले जाकर पेशवा की बसई में पेशवा का मनसद पर बैठा दिया जायगा। ३१ दिसम्बर सब्सीडीयरी ___ सन् १८०२ को बाजीराव से एक नए सन्धिपत्र सन्धि स्वीकार करना पर दस्तखत करा लिए गए । इस सन्धि द्वारा बाजीराव ने सबसीडीयरी सेना का जुआ अपने कन्धे पर रख लिया, सबसीडीयरी सेना को अपने राज में रहने की इजाजत दे दी, उसके खर्च के लिए अपना एक इलाका कम्पनी के नाम कर दिया, आइन्दा के लिए वादा किया कि बिना अंगरेजों की सलाह के पेशवा दरबार किसी दूसरे भारतीय नरेश के साथ किसी तरह का सम्बन्ध कायम न करेगा, और अन्य अनेक ऐसी शर्ते स्वीकार कर लीं, जिन्हें पूना में रहते हुए वह कभी स्वीकार न करता । पेशवा बाजीराव अब सर्वथा अंगरेजों की इच्छा के अधोन
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