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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१७१

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फांसने के प्रयत्न हो गया । लगभग पचास वर्ष से अंगरेज़ नीतिक मराठा मण्डत को फोड़ने के लिए अनेक जोड़ तोड़ लगा रहे थे। लगातार चार वर्ष से गवनर जनरल वेल्सली इन्हीं प्रयत्नों में लगा हुआ था। अब वेल्सली के प्रयत्न सफल हुए और जिस बात को रोकने का दौलतराव सोंधिया अपनी शक्ति भर प्रयत्न कर रहा था वह अन्त में हो गई। जिस तरह विवश होकर पेशवा बाजीराव ने बसई की सन्धि पर दस्तखत किए उसके विषय में एक अंगरेज़ बसई की सन्धि में | लेखक लिखता है :- . बाजीराव की विवशता " x x x बाजीराव जानता था कि विदेशियों के साथ इस सन्धि को स्वीकार करने का परिणाम यह होगा कि मेरी राजनैतिक स्वाधीनता का सर्वथा अन्त हो जायगा । यह बात सदा उसकी आँखों के सामने रहती थी अथवा उसके पास पास के लोग उसे सुनाते रहते थे कि टीपू का अन्त क्या हुमा, और कम्पनी की सब्सीडीयरी सेना को अपने राज में रखने के कारण निज़ाम की दशा कितनी अपमानजनक और पराधीन हांगई; इससे हम यह नतीजा निकाल सकते है कि बाजीराव ने अपनी इच्छा के विरूद्र विवश होकर बसई की सन्धि को स्वीकार किया।'* • " accepting the terms of a foreign alliance, which he was aware would lead to a total annihilation of his pohtical independence The fate of Tipu and the state of humiliating dependence to which the Nizam had been reduced by the acceptance of our subsidiary force were always present to his imagination or sounded in has ears, by those who were