पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१७४

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भारत में अंगरेज़ी राज

५८६ भारत में अंगरेजी राज और उसे सत्ता की उस शिम्बर तक पहुँचा दिवा जाय जो नाम मात्र को उसके किन्तु वास्तव में ब्रिटिश गवरमेण्ट के हाथों मे रहे, और जिस पर से अंगरेज़ शेष मराठा राज्यों को भी अपने वश मे रख सकें । दूसरा यह कि इस घटना से लाभ उठाकर बाकी के अधिक शक्तिशाली मराठा नरेशों पर भी इसी तरह की सन्धियों लाद दी जायँ ।" बहुत सम्भव है कि यदि होलकर ने पूना की विजय के बाद फ़ौरन बाजीराव का पीछा करके उसे गिरफ्तार कर लिया होता, या यदि बाजीराव ही बजाय बम्बई की ओर भागने के सींधिया के पास चला गया होता, तो कम से कम कुछ समय के लिए मराठों का साम्राज्य इस देश में और जीवित रह गया होता। किन्तु बाजीराव और होलकर दोनों अंगरेजों के हाथों में खेल रहे थे। बाजीराव को पूना वापस लाने में गवरनर जनरल ने जान बूझ कर कुछ देर की । इसके दो कारण थे। पहला कारण मिल के अनुसार यह था कि बावजूद ३१ दिसम्बर की सन्धि के वेल्सली बराबर इस बात के प्रयत्न कर रहा था कि बाजीराव को दबा कर जहाँ तक हो सके कम्पनी के लिए और अधिक रिश्रायतें उससे प्राप्त कर ली जायँ और दूसरे वेल्सली समझता था कि बाजीराव . Two grand objects now solicited the attention of the British Government The first was the restoration of the Peshwa and his elevation to that height of power which nominally his actually that of the British Government, might suface to control the rest of the Marhatta states The next was to improve this event for imposing a similar treaty upon others ot the more powerful Marhatta princes -Mill, vol vi, Chapa p278