५० भारत में अंगरेज़ी राज निजाम ने अंगरेजों से इसकी शिकायत की, किन्तु करनल वेल्सली के एक पत्र से प्रकट है कि औरंगाबाद की लूट में स्वयं वेल्सली का साफ इशारा था। करनल वेल्सली की विशाल सेना के पूना पहुँचने से पहले रेजिडेण्ट क्लोज ने यह अफवाह उड़ा दी थी कि अमृतराव पूना के नगर को आग लगा देना चाहता है। उस समय के इतिहास से पूरी तरह साबित है कि यह अफ़वाह बिल्कुल झूठी थी और केवल अमृतराव को बदनाम करने के लिए गढ़ी गई थी। २० अप्रैल सन् १८०३ को करनल वेल्सली ने अपनी सेना सहित पूना में प्रवेश किया। अमृतराव नगर छोडकर भाग गया। कहा गया कि कंवल वेल्सली की सेना के ऐन मौके पर पहुँच जाने के कारण पूना का नगर जलने से बच गया (1) २६ अप्रैल को करनल वेल्सली ने अपने भाई गवरनर जनरल वेल्सली को पूना से पत्र लिखा कि-"आमतौर युद्ध की स्थिति पर पर स्थिति अच्छी दिखाई देती है। मैं समझता वेल्सली का " हूँ, अन्त में जो आप चाहते हैं वही होगा। जिन सरदारों के हमारे विरुद्ध मिल जाने की बावत हम इतना कुछ सुन चुके हैं x x x उन्होंने हमें रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया x x x मिलकर हम पर हमला करना तो दूर रहा, अभी तक वे अपने आपस के झगड़े भी तय नहीं कर पाएxxxi" पत्र • " Matters in general have agood appearance I think they will end as you wish. The combined chiefs of whom we have heard so much,
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