पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६०६
भारत में अंगरेज़ी राज

६०६ भारत में अंगरेजी राज का उद्देश हरगिज़ अंगरेजों के साथ युद्ध छेड़ने या किसी पर हमला करने का न था। १४ अप्रैल सन् १८०३ को माकिस घेल्सली ने इङ्गलिस्तान के डाइरेक्टरों को लिखा- "मैं समझता हूँ कि xxx सीधिषा का अधिक से अधिक देश यह हो सकता है कि x x x प्रारमरक्षा के लिए सौंधिया, होलकर और बरार के राजा को आपस में मिला लिया जाय, किन्तु अंगरेज़ी सत्ता के साथ युद्ध छेड़ने का हरगिज़ उसका कोई इरादा नहीं हो सकता Ixxx" १५ मई सन् १८०३ को करनल क्लोज़ ने पूना से डाइरेक्टरों को लिखा। "निस्सन्देह यह असम्भव है कि सींधिया (अंगरेजों के साथ) युद्ध खेलने के इरादे से इस संघ में शामिल हो रहा हो।" यही बात उस समय के और अनेक पत्रों से भी साबित है, किन्तु जिन लोगों ने वर्षों के प्रयत्नों के बाद इतनी मेहनत से मराठा साम्राज्य के अन्दर फूट डाल कर उसके सदस्यों को एक दूसरे से तोड़ पाया था और जिनका एक मात्र लक्ष्य इस समय समस्त मराठा साम्राज्य को धीरे धीरे अंगरेजो साम्राज्य में मिला लेना था, वे दौलतराव सींधिया के इन मेल के प्रयत्नों को कब गवारा कर सकते थे? इसलिए अंगरेजों ने अब सब से पहले सींधिया को पना आने से रोकने की हर तरह कोशिश की। करनल कॉलिन्स ने सींधिया पर खुले ज़ोर देना शुरू किया कि