पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२००

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दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ

दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ इसी पत्र में कॉलिन्स ने गवरनर जनरल से फिर तकाज़ा किया कि जितनी जल्दी हो सके बाजीराव पर जोर देकर उसकी ओर से सींधिया के नाम यह पत्र लिखवा दिया जाय कि आप पूनान श्राइए। कॉलिन्स सच और झूठ की अधिक परवा करने वाला प्रादमी न था। फिर भी यदि इस पत्र की सब बातें सच है तब भी पत्र से ज़ाहिर है कि कॉलिन्स का बर्ताव महाराजा सोंधिया के साथ धृष्टतापूर्ण था और महाराजा के सब जवाब उचित और न्याया- नुकूल थे। तारीफ़ यह है कि अभी तक भी वसई की सन्धि की नकल अंगरेजों ने न महाराजा सींधिया के पास भेजी थी और न राजा राघोजी भोसले के पास। इसके कुछ दिनों बाद ही राजा राघोजी भोसले का खेमा महाराजा सींधिया के निकट आ पहुँचा। दोनों सींधिया और __नरेशों में बातचीत हुई, दोनों को कॉलिन्स ने भोसले का पूना जाना स्थगित ' समझाया कि पेशवा ही आप लोगों के पूना सा ____ जाने के विरुद्ध है। दोनों को कॉलिन्स ने विश्वास दिलाया कि बसई की सन्धि का प्रभाव पेशवा और अन्य मराठा नरेशों के परस्पर सम्बन्ध पर विलकुल न पड़ेगा। दोनों से कॉलिन्स ने “शान्ति और मित्रता" के नाम पर पूना जाना स्थगित करके अपनी अपनी राजधानी लौट जाने की प्रार्थना की। दोनों को उसने कम्पनी की मित्रता' का विश्वास दिलाया, और साथ ही यह भी