६१२ भारत में अंगरेजी राज धमकी दी कि यदि आप लोग पूना जाने पर जिद करेंगे तो कम्पनी की सेनाएँ तमाम मराठा साम्राज्य की सरहद पर पड़ी हुई हैं । अन्त में होनों मराठा नरेश अदूरदर्शिता के कारण या कायरता के कारण या सम्भव है युद्ध से यथा शक्ति बचने की इच्छा से फिर एक बार अगरेजों की चालों में श्रागए। दोनों ने कॉलिम्स की बातों पर विश्वास करके अपना पूना जाना स्थगित कर दिया और यह तय किया कि बस की सन्धि के विषय में जो विश्वास हमें अंगरेजों ने दिलाया है वही बाजीराव से पक्का कर लेने के लिए हमारे दोनों के विश्वस्त दूत तुरन्त पूना भेजे जायें और बाजीराव से इस विषय में सन्तोषप्रद उत्तर मिलने के बाद हम लोग अपनी अपनी राजधानी लौट जायें । अंगरेजों को इस पर कोई एतराज़ न हो सकता था और न उनके पास अब कोई किसी तरह का बहाना युद्ध का बाकी रह गया था। फिर भी अंगरेजों की ओर से युद्ध की तैयारियां बराबर बढ़ती चली गई। मराठा २६ जून को गवरनर जनरल वेल्सली ने अपने भाई जनरल वेल्सली को एक 'गुप्त' पत्र द्वारा इस बात का रशी के सम्पूर्ण अधिकार दे दिया कि-'श्राप बिना साथ युद्ध का निश्चय " मुझसे पूछे जब चाहे महाराजा सींधिया या बरार के राजा के साथ युद्ध शुरू कर दें और निज़ाम, पेशवा या दुसरे मराठा नरेशों के राज्यों में
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