दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ ६२५ पड़ेगा । इस विश्वास पर ही इन दोनों नरेशों ने बसई की सन्धि का विरोध न करना तक स्वीकार कर लिया था। किन्तु इसी बात को वे अपने वकील भेजकर बाजीराव से भी पका कर लेना चाहते थे। जुलाई के अन्त में अंगरेजों ने उन्हें बसई की सन्धि की नकल दो। इस पर दौलतराव सींधिया ने तुरन्त मार्किस वेल्सली को लिखा- "आपका मित्रतासूचक पत्र, जिसमें मापने पेशवा और अंगरेज कम्पनी के बीच बसई की नई सन्धि होने की मुझे सूचना दी है और साथ में उस सन्धि की एक नकल भेजी है, मिला और मुझे उस सन्धि की शर्तों को पूरी पूरी इत्तला हुई xxxi ___ "पेशवा और मेरे बीच जो परस्पर प्रतिज्ञाएँ हो चुकी है वे इस तरह की हैं कि सभी बातों का और पेशवा की सल्तनत और उसके शासन के सब मामलों का फ़ैसला मेरी सलाह और मशवरे से होना चाहिए । xxx किन्तु इसके विरुद्ध अंगरेज़ों और पेशवा के बीच हाल में जो शर्ते हुई है, उनकी अब मुझे सूचना दी गई है।xxx इसलिए अब करनल कॉलिन्स की उपस्थिति में राजा राघोजी भोसने के साथ यह तय हुआ है कि पूर्वोक्त सन्धि को सब बातों का पता लगाने के लिए मेरी और राजा को ओर से विश्वस्त दूत पेशवा के पास भेजे आय । साथ ही अंगरेज़ों और पेशवा के बीच को बसई की उस १६ धाराओं वाली सन्धि को शर्तों को उलटने का मेरा बिलकुल भी इरादा नहीं है, इस शर्त पर कि अंगरेज कम्पनी या पेशवा का भी जरा भी इरादा उस सम्बन्ध को उबटने का म हो जो कि ४०
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